- 500 रुपए था पिछले साल तक ऑटो पर एनुअल चार्ज

- 3600 रु। सालाना वसूला जा रहा प्रति ऑटो टैक्स

- 23 ऑटो स्टैंड थे पहले शहर में

- 12 तक सिमट गई शहर में ऑटो स्टैंड की संख्या

priyank.mohan@inext.co.in

DEHRADUN

ऑटो चालकों को इन दिनों सड़क पर ऑटो खड़ा करना भारी पड़ रहा है। हर साल ऑटो संचालक परिवहन विभाग से अधिक नगर निगम को टैक्स दे रहे हैं। परिवहन विभाग को टैक्स के तौर पर हर साल ऑटो संचालक दो हजार से ऊपर की रकम अदा करते हैं, लेकिन इससे भी ज्यादा ऑटो संचालकों को नगर निगम को फ्म्00 रुपए से ज्यादा टैक्स अदा करना पड़ रहा है। बताते चलें कि शहर में नगर निगम के क्ख् से क्भ् ऑटो स्टेंड मौजूद हैं, जहां सवारियों की तलाश में ऑटो संचालकों को अपनी गाड़ी खड़ी करनी पड़ती हैं।

क्0 साल में भ् गुना इजाफा

दरअसल क्ख् साल पहले नगर निगम की बोर्ड मीटिंग में इस बात को लेकर स्वीकृति दी गई थी कि शहर के ऑटो संचालकों को अपने वाहन खड़े करने के लिए ब्00 से भ्00 रुपए की रकम अदा करनी पड़ेगी। लेकिन समय बीतता गया और निगम की दरें भी बढ़ती गईं। वर्तमान में शहर में नगर निगम द्वारा जहां एक तरफ ऑटो स्टैंड्स की संख्या ख्फ् से लेकर क्म् तक कर दी गई वहीं सालाना प्रति ऑटो खड़े करने की दर भी बढ़ा दी गई। ऐसे में शहर में ऑटो संचालकों की जेब पर सात गुना अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है।

पिछले साल बढ़ा टैक्स

ऑटो संचालकों पर टैक्स लगाने की प्रक्रिया पिछले कई सालों से चल रही है, लेकिन पिछले कुछ सालों से नगर निगम द्वारा भ्00 रुपए प्रति ऑटो के हिसाब से स्टैंड का टैक्स वसूला जा रहा था। लेकिन, पिछले साल की बोर्ड बैठक में बोर्ड द्वारा यह फैसला किया गया कि प्रति ऑटो से स्टैंड के रूप में फ्म्00 रुपए भाड़ा वसूला जाएगा। ऐसी स्थिति में शहर में संचालित होने वाले सभी ऑटो चालकों के सामने यह समस्या खड़ी हो गई है कि इस रकम की भरपाई कैसे करें।

आईएसबीटी पर माॅनीटर चार्ज

दून ऑटो यूनियन के अध्यक्ष पंकज अरोड़ा ने बताया कि शहर में स्थित आईएसबीटी और रेलवे स्टेशन पर भी प्रत्येक ऑटो संचालकों को क्00 से डेढ़ सौ रुपए का अतिरिक्त टैक्स देना पड़ता है। ऑटो रिक्शा संचालकों के अनुसार उनके द्वारा कई बार नगर निगम प्रशासन को इस मामले में अनुरोध किया गया है। लेकिन नगर निगम न तो उनकी मजबूरी समझने को तैयार है और न ही उनकी समस्या का कोई स्थाई हल निकाल पा रहा है।

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इस मामले में कई बार नगर निगम से अनुरोध किया जा चुका है, बैठकों का दौर भी चला है लेकिन कोई खास रिस्पॉन्स नहीं मिल पा रहा है। हम मजबूर हैं पर क्या करें।

- पंकज अरोड़ा, अध्यक्ष ऑटो यूनियन देहरादून

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रेट बढ़ाने का फैसला बोर्ड का है, समस्या ये है कि फिलहाल ऑटो संचालकों को स्थाई स्टैंड मिल सके। बहरहाल ऑटो संचालकों के लिए प्रॉपर स्टैंड ढूंढे जा रहे हैं।

- विनोद चमोली, मेयर, नगर निगम।

Posted By: Inextlive