रीसेंट सर्वे से पता चला है कि अगर आपसे किसी का कोई डिसकशन चल रहा है और उसका प्वाइंट ऑफ व्यू आपसे डिफरेंट है तो आंखे मिलाने से रिएक्शन उलटा हो सकता है और सिच्युएशन खराब हो सकती है. हां पहले ऐसा जरूर माना जाता था कि किसी से देर तक आंखे मिलाना किसी को अपने प्वाइंट पर राजी करना या फिर उससे रिक्वेस्ट करने का एक सकसेफुल तरीका है .

इस स्टडी के एकार्डिंग ये प्रूव होता है कि एक्च्युअली ऐसा नहीं है. कभी-कभी इस तरह आंखे मिलाने से कंप्लीट्ली अपोजिट इफेक्ट पड़ता है. रीसेंट्ली डेवलप की गई आई मूवमेंट्स रिलेटेड टेकनीक्स की हेल्प से रिसर्चस ने टेस्ट्स की एक सिरीज में आंखे मिलाने के इफेक्ट्स को टेस्ट किया. टेस्ट करने के बाद उन्हें पता चला कि डिफरेंट कॉन्ट्रोवर्शियल इशूज पर लिसनर्स ने स्पीकर्स की आंखो में देखा जबकि वो स्पीकर्स के लॉजिक से सैटिस्फाय नहीं थे.
रिसर्चस के एकॉर्डिंग स्पीकर के बोलते टाइम लिसनर्स का स्पीकर से आंखे मिलाना सिर्फ स्पीकर के टॉपिक की अवेयरनेस को शो करता है ना कि स्पीकर के प्वाइंट ऑफ व्यू की एक्सेपटेंस को. ध्यान रखने की बात है कि चाहे आप एक पॉलिटीशियन हो या एक पेरेंट, अगर आप किसी ऐसे इंसान से बात कर रहे हैं जिसकी थिंकिग आप से डिफरेंट है तो उससे आंखे मिलाने की कोशिश से पॉसिबली उल्टा रिएक्शन ही मिलेगा.

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Posted By: Surabhi Yadav