ब्रांडी टेम्पल के कारोबार के लिए परिवार और सोशल मीडिया अहम है.


दुनिया के बहुत से लोगों के लिए फ़ेसबुक सोशल नेटवर्किंग का एक जरिया है, लेकिन अमरीका की एक युवा महिला ने फ़ेसबुक के जरिए कारोबारी दुनिया में अपना मुकाम बना लिया है.आज 39 वर्षीया ब्रांडी टेम्पल की कंपनी में 160 लोग काम करते हैं.उनकी कंपनी बिना किसी दुकान और बिना किसी शो रूम के हर माह 30 से 50 हज़ार पोशाकों की बिक्री करती है. इसमें से 60 फीसदी  बिक्री फ़ेसबुक के ज़रिए होती है.इसकी सफलता से प्रभावित होकर अरबपति निवेशक और अमेरिकी इंटरनेट समूह एओएल के सह-संस्थापक स्टीव केस ने इस कंपनी में दो करोड़ डॉलर का निवेश किया है."मंदी के कारण बेरोजगार शहरी लोगों को रोजगार मुहैया करवाकर मुझे बेहद खुशी मिलती है."-ब्रांडी टेम्पल, अमरीकी कारोबारीस्टीव केस का मानना है कि ब्रांडी की कंपनी में एक अरब डॉलर का कारोबारी समूह बनने की पूरी संभावना है.शौक बना व्यापार


दरअसल, उत्तरी कैरोलीना के लैग्जिंगटन में रहने वाली ब्रांडी टेम्पल चार बच्चों की मां हैं. अपने बच्चों के लिए तरह-तरह के कपड़े डिज़ाइन करना उनका शौक था.इसके लिए उन्होंने एक बार जरूरत से ज़्यादा कपड़े खरीद लिए. इसके बाद उनके पास डिज़ाइन किए गए वस्त्रों को बेचने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं था.

लेकिन उनकी आशा के विपरीत ये कपड़े तुरंत बिक गए. इस एक घटना ने टेम्पल को एक सफल उद्यमी बनने की प्रेरणा दी. उन्होंने कपड़े डिज़ाइन कर उन्हें बेचने का काम शुरू कर दिया.उन्होंने अपनी भतीजी एलिजाबेथ टीसिंगर उर्फ लोली के नाम पर कंपनी का नाम लोली ओली डूडल (एलडब्ल्यूडी) रखा.टेम्पल ने कभी भी एक उद्यमी बनने के बारे में नहीं सोचा था. लेकिन टेम्पल ने शुरू में पोशाकों की बिक्री ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट ईबे के जरिए की, लेकिन साल 2010 में एक दिन उन्होंने बिक्री के लिए अपने उत्पादों की तस्वीरें  फ़ेसबुक पर पोस्ट की.फ़ेसबुक पर हिटटेम्पल का कहना है कि उन्हें  फ़ेसबुक पर शानदार प्रतिक्रिया मिली. इसके बाद उन्होंने अपने सभी उत्पादों की तस्वीरें दो सप्ताह के भीतर फ़ेसबुक पर पोस्ट कर दीं. आज कंपनी सीधे फ़ेसबुक के ज़रिए व्यापार कर रही है.फ़ेसबुक पर उनकी कंपनी के कुल 6,14,000 फैंस हैं जो एलडब्ल्यूडी के डिस्प्ले में दिखाई गई किसी खास पोशाक को खरीदने के इच्छुक हैं.टेम्पल की इस कंपनी को चलाने में उनके परिवार के सभी सदस्य लगे हुए हैं. उनका कहना है कि मंदी के कारण बेरोजगार शहरी लोगों को रोजगार मुहैया करवाकर उन्हें बेहद ख़ुशी मिलती है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh