नाम के टीचर्स : न सुविधा है, न वेतन
-बिहार में 2006 में स्टेट गवर्नमेंट ने पूर्ण वेतन वाले पदों पर रिटायर्ड होने के बाद पद समाप्त करने का फैसला लिया
- 1980 में थे तीन लाख परमानेंट टीचर्स, वर्तमान में मात्र 60 हजार के करीब हैं शिक्षकPATNA: पटना में ऑल इंडिया सेकेंडरी टीचर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के दो दिवसीय बैठक में देशभर से जुटे डेलीगेट ने हिस्सा लिया। बैठक शनिवार एवं रविवार को जमाल रोड स्थित संघ के भवन में आयोजित की गई। बैठक के दौरान दिसंबर ख्0क्फ् में नायिक में ख्भ्वें राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान लिए गए निर्णय को लागू कराने के लिए सरकार पर दबाव बनाने का निर्णय लिया गया। बैठक में सरकार पर दवाब बनाने के लिए केंद्रीय बजट से पूर्व दिल्ली में एवं राज्यों के राजधानी में संबंधित राज्यों के बजट से पूर्व एजुकेशन के सेक्टर पर ज्यादा से ज्यादा राशि खर्च करने के लिए दवाब बनाने का निर्णय लिया गया। इसके अलावा एजुकेशन सेक्टर में अन्य रिफॉर्म के लिए नीतियों में बदलाव के लिए प्राइम मिनिस्टर, एचआरडी मिनिस्टर, स्टेट्स के सीएम, एजुकेशन मिनिस्टर से बात कर जल्द से जल्द रिफॉर्म को लागू करने का निर्णय लिया गया। बैठक में संघ के उतर प्रदेश अध्यक्ष जगदीश चंद्र पांडे ठकुराई, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कुमारी करूणा श्रीवास्तव, इंद्रशेखर मिश्र, महासचिव अब्दुल रज्जाक, कुलभूषण शर्मा, डॉ विजय कुमार सिंह, जगदीश प्रसाद ढाका मुख्य रूप से शामिल हैं।
सरकारों ने बाजार के हवाले किया फेडरेशन के जेनरल सेक्रेटरी इंद्रजीत मिश्रा ने कहा कि हाल के समय में एजुकेशन को बाजार के हवाले कर दिया गया है। अब टीचरों के स्थान पर पारा टीचर, नियोजित टीचर आदि के माध्यम से स्कूलों में एजुकेशन दिया जा रहा है। इन्हें न कोई सुविधा है न वेतन। स्कूलों में हर माह हजारों की संख्या में नियमित टीचर रिटायर्ड हो रहे हैं। ख्0क्7-क्8 में सभी टीचर्स हो जाएंगे रिटायर्ड मीटिंग में केदारनाथ पांडे ने बताया कि देश में ख्0क्7-क्8 तक सभी स्थाई टीचर्स रिटायर्ड हो जाएंगे। बिहार में ख्00म् में स्टेट गवर्नमेंट ने पूर्ण वेतनमान वाले सभी टीचर्स के पदों को रिटायर्ड होने के बाद स्वत: समाप्त का नियम लागू कर दिया गया। बैठक में लिए गए निर्णय -एजुकेशन सेक्टर में सुधार की डिमांड्स को लेकर केंद्रीय बजट से पहले दिल्ली में विशाल धरना। - स्टेट्स के कैपिटल्स में बजट सत्र से पहले प्रदर्शन। -पूरे कंट्री में एजुकेशन के सेक्टर में सुधार को लेकर एक करोड़ लोगों को हस्ताक्षर सितंबर में प्रेसिडेंट को सौंपा जाएगा।- शिक्षा बचाओ, देश बचाओ (नासिक घोषणा पत्र )सरकार लागू करे सरकार।
-देश के सभी बच्चों को क्8 साल तक (क्ख् वीं तक)तक फ्री एजुकेशन दिया जाए। -एजुकेशन के सेक्टर में पिछड़ेपन के गैप को पाटने के लिए जीडीपी का दस परसेंट बजट में खर्च हो। - देश में सरकार की ओर से एजुकेशन सबों के लिए कॉमन एजुकेशन सिस्टम लागू हो। - मॉडल स्कूल्स की परिकल्पना पर रोक लगे। - एजुकेशन में निजीकरण व बाजारीकरण पर रोक लगे। - पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) की प्रक्रिया पर रोक लगे। - देश के सभी बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन दिया जाए। -पारा, संविदा एवं नियोजित टीचर्स की बहाली पर रोक लगे। -राइट टू एजुकेशन एक्ट में वर्णित एजुकेशन, जनगणना, इमरजेंसी आदि कामों में टीचर को लगाए जाने पर रोक लगाई जाए। -मध्याह्न भोजन, भवन निर्माण सहित नन एजुकेशन वर्क से टीचर्स को मुक्त रखा जाए। -माध्यमिक स्तर तक मदर टंग में एजुकेशन दिया जाए। वित रहित एजुकेशन सिस्टम पर रोक लगे।