फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली आज क‍िसी पर‍िचय के मोहताज नही हैं। भारतीय राजनीत‍ि की बड़ी शख्‍स‍ियतों में ग‍िने जाने वाले जेटली आज अपना 65वां जन्मदिन मना रहे हैं। अरुण जेटली राजनीत‍ि से लेकर व्‍यक्‍त‍िगत ज‍िंदगी हर जगह बेहद गंभीर स्‍वभाव के माने जाते हैं। खास बात तो यह है कि उनका व‍िपक्ष पर तंज कसने का तरीका भी थोड़ा अलग होता है। आइए आज इस खास मौके पर जानें जेटली की शायरी और उनके बारे में खास बातें...


सीए बनने का था सपना28 दिसंबर साल 1952 को नई दिल्ली में जन्में अरुण जेटली बचपन से ही कुछ अलग करने का सपना था। वह सीए बनना चाहते थे। पढ़ने में काफी तेज अरुण जेटली ने दिल्ली के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से इकोनॉमिक्स में स्नातक की पढ़ाई की। इतना ही नहीं इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री भी ली है। छात्र संघ के अध्यक्ष बनेअरुण जब दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ रहे थे तभी से राजनीतिक सफर शुरू हो गया था। यह सबसे पहले छात्र संघ के अध्यक्ष बने थे। वे अखिल भारती विद्यार्थी परिषद में दिल्ली ईकाई और अखिल भारतीय अध्यक्ष भी बने थे। देश में अपातकाल के समय इन्होंने एक खास भूमिका निभाई थी। इन्हें जेल भी जाना पड़ा था। साल 2017 के बजट पेशकश में ये जेटली ने पढ़ी ये शायरी....
इस मोड़ पर घबरा कर न थम जाइए आप, जो बात नई है अपनाइए आप,डरते हैं क्यों नई राह पर चलने से आप, हम आगे आगे चलते हैं आइए आप,साल 2016 में बजट पेश करते समय जेटली ने पढ़ी थी ये शायरी...कश्ती चलाने वालों ने जब हार कर दी पतवार हमें, लहर लहर तूफान मिलें और मौज-मौज मझधार हमें,


फिर भी दिखाया है हमने और फिर ये दिखा देंगे सबको, इन हालातों में आता है दरिया करना पार हमें 2015 में भी बजट पेश के दौरान जेटली की शायरी ने खींचा था ध्यान...कुछ तो फूल खिलाये हमने और कुछ फूल खिलाने हैं, मुश्किल ये है बाग में अब तक कांटें कई पुराने हैं।

2017 में नेताओं के वो 10 विवादित बयान, जिनसे राजनीति में मचा घमासान

Posted By: Shweta Mishra