- आरोपियों को भरोसा, मुकदमे की जांच में मिल्रेगी राहत

- कोर्ट की नाराजगी पर आनन-फानन में शुरू हुई कार्रवाई

GORAKHPUR: बहुचर्चित अस्थौला कांड में एक इंस्पेक्टर, तीन दरोगा, 15 पुलिस कर्मचारियों सहित अन्य 24 लोगों के खिलाफ एफआईआर से हड़कंप मचा है। दो साल पूर्व हुई घटना में पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ कोर्ट में एप्लीकेशन दिया गया था। कोर्ट की सख्ती पर हरकत में आए एसओ गगहा ने एफआईआर दर्ज की। गगहा पुलिस जहां मुकदमे को छिपाने की कोशिश में लगी रही। उधर, अभियुक्त बने पुलिस कर्मचारियों को भरोसा है कि जांच में उनको राहत मिल जाएगी। उग्र भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस ने एक्शन लिया था।

महीनों का आदेश टालते रहे थानेदार

19 मई 2018 को अस्थौला निवासी शिवहरी ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर तत्कालीन एसओ सुनील सिंह सहित 15 पुलिस कर्मचारियों और अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की गुहार लगाई थी। आठ जून 2019 को कोर्ट ने अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विवेचना का आदेश दिया। लेकिन पुलिस इस प्रकरण में टालमटोल करती रही। कई माह तक गगहा पुलिस इससे संबंधित आख्या कोर्ट में भेजने से कतराती रही। इस प्रकरण में कोर्ट ने एसओ गगहा को तलब किया। लेकिन 31 जनवरी 2020 तक गगहा थाना से कोर्ट में कोई आख्या नहीं भेजी गई। न तो एसओ कोर्ट में उपस्थित हुए। अवमानना मानते हुए कोर्ट ने सात फरवरी को एसओ को तलब कर स्पष्टीकरण मांगा। इसके बाद हरकत में आई पुलिस ने आनन-फानन में मुकदमा दर्ज कर लिया। लेकिन एफआईआर की जानकारी देने से जिले के पुलिस अधिकारी बचते रहे।

पुलिस से गुस्साई भीड़ ने थाने पर किया था बवाल

15 मई 2018 को गगहा एरिया के अस्थौला में सरकारी भूमि पर कब्जे को लेकर दो पक्षों में विवाद हुआ था। जानकारी होने पर पुलिस ने जीतू और दूसरे पक्ष के लोगों को थाने पर बुलाया। तत्कालीन थानेदार सुनील कुमार सिंह ने दोनों पक्षों के बीच पंचायत कराई। लेकिन एक पक्ष की तरफ से एक तरफा कार्रवाई के आरोप में बवाल हो गया। आरोप है कि उग्र लोगों ने थाने पर हमला बोल दिया। भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस ने रबर बुलेट दागी। हवाई फायरिंग करके हालात को काबू किया। घटना में अस्थौला के जीतू, भोलू और दीपक घायल हो गए। थाने पर हमला करने सहित अन्य कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने 27 नामजद और 250 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई शुरू की। पुलिस ने नामजद आरोपियों को अरेस्ट कर जेल भेज दिया। इसके बाद इस कांड में 19 मई 2018 को जीतू के बेटे शिवहरी ने कोर्ट में एप्लीकेशन दिया। इसमें वीरेंद्र चंद और उनके परिवार के आठ लोगों को मुल्जिम बनाया गया। गगहा थाना पर उस समय तैनात रहे पुलिस कर्मचारी भी आरोपित हैं।

इनके खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर

इंस्पेक्टर सुनील कुमार सिंह

एसआई शैलेंद्र यादव

एसआई गोपाल यादव

एसआई सुनील कांत शुक्ला

दीवान रहीमुद्दीन सिद्दीकी

कांस्टेबल लाल बचन यादव

कांस्टेबल अमित कुमार यादव

कांस्टेबल विकास कुमार यादव

कांस्टेबल दिलीप कुमार सोनी

कांस्टेबल वीरेंद्र कुमार

कांस्टेबल राजकुमार

कांस्टेबल रमेश सिंह यादव

कांस्टेबल जय शंकर सिंह

कांस्टेबल महेश कुमार

कांस्टेबल राम गोविंद

फालोअर राजकुमार

इन धाराओं में एफआईआर

घर में घुसकर मारपीट, तोड़फोड़, जानमाल की धमकी देने, लूटपाट, डकैती, छेड़छाड़, हत्या के प्रयास, बलवा और अनुसूचित जाति- जनजाति के उत्पीड़न की धारा में पुलिस कर्मचारियों और अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। लॉ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये सभी धाराएं गंभीर हैं। इनमें आरोप साबित होने पर पुलिस कर्मचारियों को सजा हो सकती है। उधर, पुलिस अधिकारी यह कह रहे हैं कि थाने पर हमले में आरोपित बनाए गए मुल्जिमों ने कोर्ट में आवेदन किया था। कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया। लेकिन जांच में पुलिस कर्मचारी बरी हो जाएंगे। मुल्जिम बने ज्यादातर पुलिस कर्मचारी गोरखपुर से बाहर के जनपदों में ट्रांसफर हो गए हैं। विवेचना अधिकारी ने पब्लिक का बयान लेना शुरू कर ि1दया है।

वर्जन

इस प्रकरण में कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। मामले की विवेचना शुरू हो गई है। संबंधित जांच अधिकारी की रिपोर्ट आने बाद इस मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी। थाना पर आक्रोशित भीड़ के हमलावर होने पर पुलिस ने एक्शन लिया था।

दावा शेरपा, एडीजी, गोरखपुर जोन

Posted By: Inextlive