दिल्‍ली और एनसीआर में इस बार दिवाली पर पटाखों की बिक्री नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण प्रदूषण को ध्‍यान रखते हुए यह रोक लगाई है। इस फैसले से सबसे बड़ा झटका पटाखा सिटी 'शिवकाशी' को लगा। करीब 90 परसेंट पटाखे यहीं से बनकर आते हैं। आइए जानें शिवकाशी कैसे बना पटाखा सिटी और किसने कहा इस मिनी जापान....

यहां सालभर सिर्फ पटाखे ही बनते हैं
पटाखों के आविष्कार का श्रेय भले ही चीन को जाता हो लेकिन भारत में एक शहर ऐसा है जिसे पटाखा सिटी कहते हैं। चेन्नई से करीब 500 किमी दूर स्थित एक छोटा सा शहर है शिवकाशी। यह देश का सबसे बड़ा पटाखा उत्पादन केंद्र है। 90 परसेंट से अधिक पटाखे का व्यापार यहीं से होता है। शहर में करीब 400 से ज्यादा छोटी-बड़ी पटाखा फैक्ट्रियां है, जहां साल में 300 दिन पटाखा बनाने का काम होता है।

खतरा नहीं है कम
जहां हर तरफ पटाखे ही पटाखे नजर आएं, तो वहां खतरा बहुत बड़ा रहता है। शिवकाशी की पटाखा फैक्ट्रियों में करीब 7 लाख से ज्यादा लोग काम करते हैं। ये सिर्फ पटाखे ही नहीं मिलिट्री के लिए ट्रेनिंग वीपेंस भी बनाते हैं। बारुद के ढेर में बैठकर काम करने वाले ये मजदूर अपनी जान की परवाह किए बिना काम में लगे रहते हैं। हालांकि कभी-कभी एक गलती से बड़े हादसे हो जाते हैं।

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari