देश में अगले सप्‍ताह आने वाले 2016-17 के बजट को लेकर पूरे देश की निगाहें टिकी हैं। आखिर मोदी सरकार के आने वाले इस आम बजट से इंडस्ट्री आम लोगों व बाजार सभी ने काफी उम्‍मीदें जो लगा रखी हैं। हर साल की तरह आम बजट के रूप में एक भारतीय वित्‍त्‍ा मंत्री देश की जनता को क्‍या देंगे। यह सवाल सभी के मन में हैं। वित्‍त मंत्री अरुण जेटली 29 फरवरी को मोदी सरकार का तीसरा बजट पेश करेंगे। सबसे बड़ी बात तो यह है कि देश में 18 फरवरी 1860 से एक अग्रेंज द्वारा शुरू की गई यह बजट प्रकिया निरंतर चलती चली आ रही है।

काफी बदलाव हुए
जी हां आज भारतीय आम बजट को लेकर लोग तमाम उम्मीदें लगाते हैं। इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं, लेकिन कभी यह सोचा है कि यह बजट प्रक्रिया देश में कैसे शुरू हुई। इसके पीछे क्या मकसद था और इसे किसने शुरू किया। कई बार लोग सोचते भी हैं लेकिन उन्हें जवाब नहीं मिल पाता है, क्योंकि बहुत कम लोगों को पता है कि भारत का पहला बजट ब्रिटिश वायसराय की काउंसिल के मेंबर (फाइनेंस) जेम्स विल्सन ने पेश किया था। यह प्रक्रिया 18 फरवरी 1860 को शुरू हुई थी। हालांकि इस दौरान 1867 तक वित्त वर्ष की अवधि 1 मई से 30 अप्रैल तक होती थी, लेकिन समय के साथ काफी कुछ बदला। इसके बाद भारत में 1 अप्रैल से 31 मार्च तक के लिए वित्त वर्ष की शुरुआत 1867 से हुई। इसके बाद देश में आजादी का दौर आया। जिसमें आजादी से पहले भारत का अंतरिम सरकार का बजट लियाकत अली खां ने पेश किया था।

सुबह 11 बजे पेश

वहीं आजादी के ठीक बाद भारत का पहला अंतरिम बजट आर. के षणमुखम शेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को सदन में पेश किया था। तब से लेकर अब तक आम बजट के स्वरूप में काफी बदलाव देखने को मिलें। पहले आम बजट के दस्तावेज हिंदी में वित्त वर्ष 1955-56 से होते और यहीं से ब्लैक मनी उजागर करने की स्कीम शुरू की गई थी। इसके बाद राजीव गांधी ने 1987 के बजट में काफी बदलाव किया। उन्होंने पहली बार कॉरपोरेट टैक्स का न्यूनतम वैकल्पिक टैक्स पेश किया था। इसके बाद केंद्रीय बजट में 1994 में सर्विस टैक्स का का आप्शन जोड़ा गया। वहीं पहले फरवरी के अंतिम दिन शाम 5 बजे से की जाती थी। इसके बाद 2001 से आम बजट संसद में सुबह11 बजे पेश किया जाने लगा।

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Posted By: Shweta Mishra