RANCHI:झारखंड विधानसभा भवन अपने पुराने विधायकों को मंगलवार को ढूंढता नजर आएगा। सत्र के दौरान अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराने वाले कई पूर्व विधायक इस बार सदन में नहीं दिखेंगे।

दादा न चढ़ेंगे बेंच पर, न फाड़ेंगे कुर्ता

झारखंड विधानसभा का सत्र चले और समरेश दा चर्चा के केन्द्र में न रहें, यह हो ही नहीं सकता। विधानसभा के सत्र में कभी बेंच पर चढ़ जाना तो कभी अपनी बातें सुनाने के लिए कुर्ता फाड़ देना बोकारो के विधायक समरेश सिंह की पहचान रही है। लेकिन इस बार वह ऐसा नहीं कर पाएंगे क्योंकि इस बार वह चुनाव हार गए है। विभिन्न पार्टियों के टिकट पर विधायक बनने वाले काफी सीनियर समरेश सिंह को सदन मिस करेगा।

काठगाड़ी से आकर अब कौन बटोरेगा चर्चा

जब भी झारखंड विधानसभा का सत्र शुरू होता था, उस समय मांडर विधानसभा क्षेत्र के विधायक बंधु तिर्की विधानसभा में अपने आगमन को लेकर चर्चा में रहते थे। एक तरफ जहां दूसरे विधायक कार, महंगी गाडि़यों से यहां पर एंट्री करते थे, वहीं बंधु तिर्की अपने देशज और आदिवासी पहचान को बनाए रखने के लिए काठगाड़ी में बैठ कर पहले दिन विधानसभा आते थे। ऐसे में इस बार वह भी वह नजारा नहीं दिखेंगे, क्योंकि वह भी मांडर सीट से चुनाव हार गए हैं।

मतभेद हो, पर मनभेद नहीं कौन देगा यह नसीहत

विधानसभा में सत्ता और विपक्ष के सदस्यों में मतभेद होना चाहिए, लेकिन मनभेद नहीं। झारखंड विधानसभा में यह जुमला अक्सर राजेन्द्र प्रसाद सिंह दोहराया करते थे। वह विपक्ष में रहे या संसदीय कार्यमंत्री, सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष के बीच उनके बहुत ही दोस्ताना संबंध रहते थे। लेकिन इस बार विधानसभा में वह नहीं दिखेंगे। क्योंकि बेरमो सीट से वह भी चुनाव हार गए हैं।

पहली बार सदन में नहीं दिखेंगी अन्नपूर्णा

झारखंड विधानसभा के इतिहास में अन्नपूर्णा देवी उन गिनी-चुनी महिला नेताअेां में से हैं, जो पहली विधानसभा से लेकर तृतीय विधानसभा तक लगातार कोडरमा सीट से चुनाव जीतकर इस सदन का सदस्य रहीं। लेकिन चतुर्थ विधानसभा में वह भी नहीं दिखेंगी, क्योंकि इस बार वह भी चुनाव हार गई हैं उनके साथ ही शिक्षा मंत्री रही गीताश्री उरांव, छतरपुर से विधायक रही सुधा चौधरी और झरिया की विधायक रही कुंती सिंह भी इस बार सदन में नहीं दिखेंगी।

सत्ता और विपक्ष पर अब अकेले कोई नहीं पड़ेगा भारी

झारखंड विधानसभा में जनता के सवाल पर अकेले सत्ता और विपक्ष पर भारी पड़ने वाले विनोद सिंह की भी मंगलवार को सदन में कमी महसूस की जाएगी। सत्ता और विपक्ष में चाहे जो भी पार्टी रहे, उसके पास जितना भी संख्या बल हो, लेकिन सदन में जनता के मुद्दों पर सरकार को घेरने की बात आती थी तो विनोद सिंह अकेले मोर्चा संभालते थे। प्रेस मीडिया से लेकर आम लोगों तक को सदन में विनोद सिंह को सुनने का इंतजार रहता था। लेकिन, इस बार वह भी विधानसभा में नहीं दिखेंगे, क्योंकि इस बार वह भी विधानसभा चुनाव हार गए हैं।

Posted By: Inextlive