शुरूआती दौर में वन डे यानि एक दिवसीय मैचों की शुरूआत शायद ये सोच कर की गयी थी जो लोग क्रिकेट के शौकीन हैं और एक टैस्‍ट मैच देखने के लिए पूरे पांच दिन नहीं खर्च कर सकते उनको कुछ ऐसा दिया जाये जो उनके शौक और समय दोनों के अनुकूल हो। साथ ही क्रिकेट में कुछ रोमांच और रफ्तार लाने के लिए भी क्रिकेट के इस फॉरमेट की शुरुआत हुई थी। आप शायद जान कर हैरान होंगे कि इस फारमेट के बारे में सबसे पहले एक भारतीय ने सोचा था। आइये जाने इस फॉरमेट से जुड़ी कुछ रोचक बातें।

भारत से शुरू हुआ एक दिवसीय क्रिकेट
अगर सूत्रों की माने तो पहली बार 1951 में केरल के त्रिपुन्थुरा में दुर्गा पूजा पर सबसे पहले एक दिवसीय मैच का टूर्नामेंट आयोजित किया गया था। इसे एक पूर्व क्रिकेटर और केलर क्रिकेट एसोशिएसन के पहले सेक्रेटरी के.वी. केलप्पन थमपुर ने आयोजित करवाया था।
पहला आधिकारिक एक दिवसीय मैच
सीमित ओवरों का एक दिवसीय मैच आधिकारिक तौर पर पहली बार इंग्लैंड की कांउंटी टीमों के बीच 1 और 2 मई के बीच 1962 में खेला गया था। इस मैच में कांउंटी टीमों लीसेस्टरशायर ने डर्बीशायर और नॉर्थम्प्टनशायर ने नॉटिंघमशायर को हराया। 65 ओवरों के इन मैंचों की विजेता टीमों के बीच एक हफ्ते बाद फाइनल मैच हुआ जिसे नॉर्थम्प्टनशायर काउंटी ने जीता था।
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लीग मैंचों में शुरू हुई एक दिवसीय मैंचों की परंपरा
1964 में एकदिवसीय मैचों में ओवरों की संख्या घटा कर 60 कर दी गयी। जिसके बाद इंग्लेंड के लीग मैंचों में सीमित ओवरों की प्रतियोगिता खेली जाने लगी। 1969 में संडे लीग के नाम से इंग्लैंड में एक चालीस ओवरों की प्रतियोगिता की भी शुरूआत हुई।
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पहला एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय
पहला एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच मेलबोर्न क्रिकेट ग्राउंड पर 5 जनवरी 1971 को ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच खेला गया था। जब तीसरे टेस्ट मैच के पहले तीन दिन बारिश की वजह से धुल गए तो उस मैच को रद्द करके उसके स्थान पर छह गेंद प्रति ओवर के साथ प्रति टीम 40 ओवर का एक दिवसीय मैच खेलने का निर्णय लिया गया। ऑस्ट्रेलिया ने यह मैच 5 विकेट से जीत लिया।  
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कैरी पैकर का हमला
उसी दौर में 1970 के दशक के अंत में, कैरी पैकर ने अपनी वर्ल्ड सीरीज़ क्रिकेट प्रतियोगिता की शुरुआत की और इसमें आधुनिक एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट की कई सुविधाएं शामिल की गयीं। जिनमे रंगीन वर्दियां, सफ़ेद गेंद तथा काली साइट स्क्रीन के साथ मैच और टेलिविज़न प्रसारण के लिए कैमरों के नए नए प्रयोग, पिच पर खेलने वाले खिलाडियों की आवाज़ सुनने के लिए माइक्रोफोन तथा ऑन स्क्रीन ग्राफिक्स शामिल हुए थे। इसी के बाद एक दिवसीय क्रिकेट में रंग और मॉर्डन टैक्नीक शामिल हुई।

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Posted By: Molly Seth