- अस्सी से राजघाट तक सैलानियों के लिए फ्लोटिंग टॉयलेट की सुविधा

- कई घाटों पर बने पर्यटन विभाग के बायो टॉयलेट हो चुके हैं कबाड़

वाराणसी में गंगा की लहरों के बीच सैलानियों को जल्द ही फ्रेश होने की सुविधा मिलेगी। गंगा में फ्लोटिंग बॉयो टॉयलेट की सुविधा मुहैया कराने की कवायद शुरू हो गई है। नेक्स्ट वीक से गंगा की लहरों पर अस्सी से लेकर राजघाट तक तैरते बायो टॉयलेट हर किसी के लिए उपलब्ध होगा। बजड़े पर बनाए गए बायो टॉयलेट को फिलहाल ब्रह्माघाट पर खड़ा किया गया है। पर्यटन विभाग की योजना के तहत सैलानियों के लिए दर्जन भर प्रमुख घाटों पर बायो टॉयलेट बनाए गए थे, लेकिन सभी कबाड़ हो चुके हैं।

चेंजिंग रुम की भी है व्यवस्था

गंगा घाटों पर घूमने के दौरान सैलानियों को टॉयलेट के लिए भटकना पड़ता है। फ्लोटिंग टॉयलेट की परिकल्पना रेलवे की संस्था जीएफसीसीसीआईएल की है। देश में यह पहला टॉयलेट है जो नदी की लहरों पर तैरेगा। बजड़े पर बने बायो टॉयलेट के कुल आठ केबिन में चार मेल और चार फीमेल के लिए हैं। इसके अलावा दो चेंजिंग रूम भी है। हाथ धोने के लिए दो बेसिन भी लगा है। इसे आवश्यकतानुसार भीड़भाड़ वाले घाटों पर ले जा सकते हैं।

सूरज की रोशनी से होगा रोशन

यही नहीं इस बॉयो टॉयलेट में लाइट सूरज की रोशनी से आयेगी। बजड़े पर दो सोलर पैनल लगाये गये हैं। जिससे सभी टॉयलेट में बिजली सप्लाई की व्यवस्था है। साथ ही रात में ये फ्लोटिंग टॉयलेट जगमग करेगा।

गंगा में नहीं गिराए जाएंगे मलजल

फ्लोटिंग टॉयलेट तैयार करने वाली कंपनी विजय कंस्ट्रक्शन के डायरेक्टर सुनील श्रीवास्तव ने बताया कि बजड़े के निचले हिस्से में बने टैंक में पूरा मलजल रहता है। टैंक में ऐसे बैक्टीरिया डाले गए हैं जो मल को जल में बदल देंगे और फिर उस मलजल को पाइप से सीवर में डाला जाएगा। टैंक की नियमित सफाई के लिए कर्मचारी लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस बात का खासतौर पर ध्यान रखा गया है कि इससे किसी भी तरह गंगा प्रदूषित न हो।

बहुत जल्द ही गंगा घाटों पर फ्लोटिंग बायो टॉयलेट शुरु कराने की योजना है। अभी दो दिन पहले ब्रह्माघाट पर विजिट किया था और वहां यह खड़ा था। पता करने पर मालूम हुआ स्थानीय लोगों के विरोध के कारण गंगा में इसे चलाने में दिक्कतें आ रही है।

गौरांग राठी, नगर आयुक्त

Posted By: Inextlive