भारतीय जनसंघ के पूर्व अध्‍यक्ष और राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ के दिग्‍गज नेता बलराज मधोक का सोमवार को निधन हो गया। मधोक पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। वह पिछले एम माह से एम्‍स में भर्ती थे। सोमवार सुबह उन्‍होंने अस्‍पताल में अंतिम सांसे लीं। परिजनों ने बताया कि सोमवार शाम को ही उनका अंतिम संस्‍कार किया जाएगा।


दूसरे और चौथे लोकसभा चुनाव में किया था पार्टी का प्रतिनिधित्वबलराज मधोक दो बार सांसद रहे। मधोक ने 1961 और 1967 में क्रमश: दिल्ली एनसीटी और दक्षिण दिल्ली का दूसरे और चौथे लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रतिनिधित्व किया था। जम्मू और कश्मीर के स्कार्दू इलाके में 25 फरवरी 1920 को जन्मे मधोक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् एबीवीपी के संस्थापक सचिव थे। वह 1951 में भारतीय जनसंघ के प्रथम समन्वयक बने। उन्हें राष्ट्रीय सचिव नियुक्त किया गया। वर्ष 1966 में उन्हें भारतीय जनसंघ का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। वह नई दिल्ली के पीजीडीएवी कॉलेज में इतिहास विभाग में शिक्षक थे । 1947-48 में उन्होंने ऑर्गेनाइजर तथा 1948 में उन्होंने वीर अर्जुन नाम की हिंदी साप्ताहिक पत्रिका का संपादन किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जमाया मधोक के निधन पर शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मधोक के निधन पर दुख जताया है। मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि जनसंघ के दिग्गज नेता श्री बलराज मधोक के दुखद निधन पर शोक प्रकट करता हूं। बलराज मधोक जी की वैचारिक प्रतिबद्धता मजबूत थी और विचार काफी स्पष्ट थे। वह नि:स्वार्थ भाव से देश और समाज की सेवा में समर्पित थे। उन्होंने ट्वीट किया कई मौके पर बलराज मधोक जी से वार्तालाप करने का अवसर मिला। उनका निधन दुखद है। उनके परिवार के प्रति संवेदना। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे। बलराज मधोक जम्मू और कश्मीर प्रजा परिषद् के संस्थापक सचिव भी थे। मधोक ने उठाई थी राममंदिर हिंदुओ को सौपने की आवाजमधोक अपने जीवनकाल में दावा करते थे कि उन्होंने ही सबसे पहले 1968 में राम मंदिर हिंदुओं को सौंपने की मांग उठाई थी। उन दिनों वह साउथ दिल्ली से लोकसभा सदस्य थे। मधोक के मुताबिक उन्होंने लोकसभा में मांग की थी कि रामजन्मभूमि हिंदुओं को सौंप दी जानी चाहिए। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्द्धन ने ट्वीट किया बलराज मधोक आज स्वर्ग सिधार गए। भारत ने एक महान बुद्धिजीवी, विचारक और समाज सुधार को खो दिया। उनकी आत्मा को शांति मिले। भारतीय जनता पार्टी की राजनीति के उभार के दौरान बाद के सालों में मधोक हाशिए पर चले गए थे और गुमनामी की जिंदगी जी रहे थे।आदर्शों और सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्ध थे मधोक- अडवाणी


बलराज मधोक के निकट सहयोगी रहे लालकृष्ण आडवाणी ने भी उन्हें विचारों और सिद्धांतों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध बताया। अपने शोक संदेश में उन्होंने कहा कि बलराज मधोक के निधन पर मैं काफी दुखी हूं। मैं उनकी दोनों बेटियों से संवेदना जताता हूं। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे। आडवाणी ने कहा कि मधोक ने 1967 के आम चुनावों में पार्टी का नेतृत्व किया जब पार्टी ने लोकसभा में 35 सीट जीती थी। उन्होंने कहा वह इसके आदर्शों और सिद्धांतों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध थे। आपातकाल के समय उन्हें 18 महीने के लिए मीसा के तहत गिरफ्तार किया गया था।

Posted By: Prabha Punj Mishra