मायावती सरकार में कैबिनेट सचिव रहे शशांक शेखर सिंह का लंबी बीमारी के बाद बुधवार रात दिल्ली के मैक्स अस्पताल में निधन हो गया. बताया जा रहा है कि वह लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे.


शशांक शेखर बसपा सरकार में मुख्यमंत्री मायावती के काफी करीबी माने जाते थे.शशांक शेखर ऐसे पहले अधिकारी थे, जो आईएएस न होने के बावजूद राज्य के कैबिनेट सचिव बने.साथ ही वो ऐसे आखिरी अधिकारी भी थे, जो इस पद पर आसीन हुए, क्योंकि 2012 में समाजवादी पार्टी ने सत्ता में आने के बाद इस पद को खत्म कर दिया और मुख्य सचिव की शक्तियों को बहाल कर दिया.आक्रामक कार्य शैलीशशांक शेखर अपनी आक्रामक कार्य शैली के लिए जाने जाते थे.हांलाकि मायावती सरकार के अलावा समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान भी वो कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे. लेकिन 2003 में मुलायम सिंह की सत्ता आने के बाद शशांक हाशिए पर चले गए.लेकिन 2007 में मायावती के सत्ता में वापसी के बाद शंशाक शेखर का कद फिर से बढ़ने लगा. मायावती सरकार में वो सबसे कद्दावर नौकरशाह बन गए.
कहा जाता है कि मायावती सरकार में उनकी इस तरह से तूती बोलती थी कि वरिष्ठ मंत्रियों को भी अपना काम कराने के लिए उनका इंतज़ार करना पड़ता था.


शशांक शेखर को कैबिनेट सचिव बनाकर उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया था, लेकिन बाद में जब उनकी नियुक्ति को अदालत में चुनौती दी गई तो सरकार ने उनसे कैबिनेट मंत्री का दर्जा वापस ले लिया.

कैबिनेट सचिव के रुप में उऩकी नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, इसमें सवाल किया गया कि किसी गैर आईएएस को ये पद कैसे दिया जा सकता है.मायावती का शशांक शेखर पर इतना अधिक भरोसा था कि 31 मई 2010 को उन्हें सेवानिवृत्त होना था, पर मायावती ने उन्हें दो साल का कार्य विस्तार दे दिया.इसके बाद वो मायावती सरकार और बहुजन समाज पार्टी के प्रवक्ता की तरह काम करने लगे.पायलटशशांक शेखर पेशे से पायलट थे.1980 के दशक में जब विश्वनाथ प्रताप सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तो शशांक शेखर की प्रतिनियुक्ति अधिकृत एअरक्राफ्ट पायलट के रुप में की गई.उसके बाद जब वीर बहादुर सिंह ने उत्तर प्रदेश सरकार की कमान संभाली तो उन्होंने शशांक को मुख्यमंत्री कार्यालय में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी यानी विशेष कार्य अधिकारी के रुप में नियुक्त कर दिया.इस तरह से राज्य की नौकरशाही में उनकी शुरुआत हुई.पहले के मुख्यमंत्रियों की तरह ही मायावती भी उनकी विमान उड़ाने की कला से वाकिफ थीं और शायद इसीलिए हर जगह उनके साथ शशांक शेखर भी होते थे.

Posted By: Satyendra Kumar Singh