भारत के शिकारपुर! यहां बेरोक टोक कर सकते हैं जंगली जानवरों का शिकार
बंगाल:
बंगाल में हाथियों की हत्या की अनुमति दी जा चुकी है। जिससे अब यहां पर फसल बचाने के नाम पर हाथियों की हत्या की जा रही है। अब इससे पर्यावरण का कितना नुकसान होगा ये आने वाला समय ही बताएगा। भले ही देश में फसल बचाने के लिए जानवरों की हत्या की जा रही है लेकिन ये जानवरों की नहीं बल्कि प्राकृतिक जैवविविधता की हत्या हो रही है।
गोवा:
वहीं गोवा में मोरों को मारने की इजाजत दे दी है। जिससे आज यहां पर राष्ट्रीय पक्षी मोर का शिकार हो रहा है। कभी ये खेतों आदि में होने वालों चूहों का शिकार करते थे। इन मोरों की हत्या से साफ है कि बेशक फसलें बच रही हैं, लेकिन इससे कहीं न कहीं मिट्टी की दीर्घकालिक उपजाऊ क्षमता कम हो रही है।
चीन:
चीन में भी ऐसा ही कदम माओत्सेतुंग की सरकार ने उठाया था लेकिन इससे किसानों का भला होने की बजाए और ज्यादा नुकसान हुआ था। चीन में गौरेया को मारने का आदेश दिया गया था, लेकिन बाद में टिड्डे, कीड़े-मकोड़ों की वजह से फसल और ज्यादा बेकार होने लगी। गौरेया कीड़े-मकोड़े फसलों से खा जाती थी। पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है। जिसके बाद यहां पर गौरेया मारने पर रोक लगा दी गई।
कनाडा:
कनाडा में भी सील मछली को बचाने की अनोखी पहल हो रही है। सील मछलियों के प्रजनन में समुद्री बर्फ की अहम भूमिका है। अब यहां पर मछुआरों को सील मछली मारने की आजादी नहीं है।