ग्रेच्‍युटी और पेंशन को कर्मचारी की मेहनत का नतीजा बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में इस पर रोक लगाने संबंधी सरकारी आदेश को खारिज कर दिया. कोर्ट का कहना है कि पेंशन कर्मचारी की संपत्ति होती है किसी विभागीय या लंबित आपराधिक मामले को बेस बनाकर सरकार कर्मचारी को पेंशन से वंचित नहीं कर सकती.


पेंशन या ग्रेच्युटी ईनाम नहीं संपत्तिजस्टिस केएस राधाकृष्णन और जस्टिस एके सीकरी ने फैसले में कहा कि पेंशन और ग्रेच्युटी कोई ईनाम नहीं है. यह कर्मचारियों की निष्ठापूवर्क काम करके कमाई गई पूंजी है, जो संविधान के अनुच्छेद 300 ए के तहत संपत्ति का अधिकार है. इसलिए कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बगैर यह हक उससे नहीं छीना जा सकता.झारखंड सरकार की अपील खारिज


कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार की अपील खारिज कर दी. हाईकोर्ट ने जीतेंद्र कुमार श्रीवास्तव को रिटायरमेंट के बाद बकाया राशि का भुगतान करने का आदेश दिया था. राज्य सरकार ने ये भुगतान जीतेंद्र के खिलाफ आपराधिक मामला लंबित होने के आधार पर रोक लिया था. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि राज्य सरकार का आदेश संविधान के अनुच्छेद 31 (1) के तहत जीतेंद्र के मौलिक अधिकार का हनन है. कोर्ट का कहना था कि बिना किसी कानूनी प्रक्रिया का पालन किए किसी की पेंशन रोकने का सरकार को अधिकार नहीं है.भ्रष्टाचार का मामला

जीतेंद्र तत्कालीन बिहार सरकार के मत्स्य एवं पशुपालन विभाग में काम करता था. उसके खिलाफ वित्तीय अनियमितता को लेकर भ्रष्टाचार के दो मामले आईपीसी के तहत लंबित थे. राज्य बंटवारे के बाद जीतेंद्र झारखंड सरकार के अधीन हो गया. सरकार ने भ्रष्टाचार के मामले को लेकर रिटायरमेंट के बाद उसकी 10 फीसदी पेंशन और निलंबन अवधि का वेतन रोक दिया था.

Posted By: Satyendra Kumar Singh