बढ़ते फंसे कर्जे एनपीए और लगातार घटते मुनाफे से जूझ रहे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए केंद्र सरकार ने अपने खजाने एक बार फिर खोल दिए हैं। अगले चार सालों में इन बैंकों को 70 हजार करोड़ रुपये की राशि मुहैया कराई जाएगी। चालू वित्त वर्ष के दौरान ही इन बैंकों को 25 हजार करोड़ रुपये की मदद मिलेगी।


वित्तीय स्िथति में सुधार की जरूरत


पिछले पांच वर्षों में बैंकों को सरकार के खजाने से 64 हजार करोड़ रुपये की राशि दी जा चुकी है। इसके बावजूद इनकी वित्तीय स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ है।शुक्रवार को अनुपूरक मांगें पेश करने के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकारी बैंकों के पूंजीकरण की अगले चार वर्षों की रणनीति का खुलासा किया। इन बैंकों को चालू साल और अगले वित्त वर्ष 2016-17 में 25-25 हजार करोड़ रुपये की मदद दी जाएगी। इसके बाद के दो वर्षों तक पूंजी के रूप में 10-10 हजार करोड़ रुपये मुहैया कराए जाएंगे। इस राशि का इस्तेमाल बैंक बेसिल-3 मानकों के तहत पूंजी आधार मजबूत बनाने के लिए करेंगे। रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के गवर्नर रघुराम राजन ने वित्त मंत्री जेटली से मिलने के बाद कहा कि सरकार का यह फैसला स्वागत योग्य है। इसमें की गई राशि की व्यवस्था बैंकों के लिए पर्याप्त है।

किसको कितनी है जरूरत

अंतरराष्ट्रीय मानकों के आधार पर RBI ने भारतीय बैंकों के लिए अलग से दिशानिर्देश जारी किए हैं। इनके मुताबिक भारतीय बैंकों को कितनी राशि की जरूरत पड़ेगी, इसे लेकर अलग- अलग अनुमान लगाए जाते रहे हैं। वित्त मंत्री ने आम बजट 2015-16 पेश करते हुए कहा था कि सरकारी बैंकों को 2.40 लाख करोड़ रुपये की जरूरत बताई थी। वित्त मंत्रालय का अब कहना है कि 70 हजार करोड़ के अलावा बैंक 1,10,000 करोड़ रुपये बाजार से उठा सकते हैं। इसमें शेयर बाजार से इक्विटी बेच कर जुटाई गई राशि भी शामिल होगी। इसके बावजूद यह साफ नहीं है कि शेष बची 60 हजार करोड़ रुपये कहां से आएंगे।तीन चरणों में मिलेगी रकमसरकार ने स्पष्ट किया है कि चालू वित्त वर्ष के लिए तय 25 हजार करोड़ रुपये की राशि तीन चरणों में दी जाएगी। इसका 40 फीसद हिस्सा उन बैंकों को मिलेगा, जिन्हें सरकार की मदद की सबसे ज्यादा जरूरत है। इन बैंकों की पूंजी पर्याप्तता व जोखिम का अनुपात सबसे कम है। दूसरी श्रेणी में 40 फीसद राशि देश के दिग्गज छह बैंकों को मिलेगी। इनमें भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक व आईडीबीआइ शामिल हैं।Hindi News from Business News Desk

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari