-केजीएमयू में बनेगा देश का पहला ऐसा बैंक, यूपी गवर्नमेंट ने दी सहमति

-शताब्दी 2 में बनेगा स्टेम सेल बैंक, पायलट स्टडी पूरी होने पर शासन को प्रस्ताव

LUCKNOW: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में जल्द ही लाइलाज बीमारियों का भी इलाज भी हो सकेगा। इसके लिए संस्थान में स्टेम सेल बैंक की स्थापना को शासन से हरी झंडी मिल चुकी है। ऐसा होते ही स्टेम सेल बैंक स्थापित करने वाला केजीएमयू देश का पहला सरकारी संस्थान बन जाएगा।

पब्लिक का होगा बैंक

स्टेम सेल बैंक के लिए केजीएमयू को शासन से सैद्धांतिक सहमति मिल चुकी है। स्टाफ, लैब और अन्य सामानों के लिए बजट पास होने के बाद प्रक्रिया शुरू होगी, जिसमें लगभग छह माह का समय लग सकता है। केजीएमयू डॉक्टर्स के मुताबिक, स्टेम सेल बैंक को ब्लड बैंक के साथ ही शताब्दी फेज-2 में स्थापित किया जाएगा। बता दें कि अभी तक देश के किसी भी सरकारी संस्थान में स्टेम सेल बैंक नहीं है। लेकिन बीमारियों को देखते हुए स्थापना अहम है। गौरतलब है कि दिल्ली, नोएडा, मुंबई, बंगलुरू, चंडीगढ़ जैसे शहरों में कई प्राइवेट स्टेम सेल बैंक हैं।

फ्री होगी प्रिजर्वेशन की सुविधा

स्टेम सेल बैंक में पैरेंट्स बच्चों की अंबलीकल कार्ड यानी नाभिनाल को बैंक में सुरक्षित रख सकेंगे ताकि भविष्य में परिवार के किसी व्यक्ति को जरूरत पड़ने पर सेल्स का प्रयोग करके इलाज किया जा सके। इसके लिए पैरेंट्स से केजीएमयू कोई भी चार्ज नहीं लेगा। बस इसकी प्रोसेसिंग फीस चुकानी होगी, जो प्राइवेट स्टेम सेल बैंकों की तुलना में बेहद कम होगी।

सब मरीजों को मिलेगा फायदा

स्टेम सेल बैंक में यहां पैदा होने वाले बच्चों और बाहर के लोग भी अगर चाहेंगे तो उनकी अंबलीकल कार्ड को भी स्टोर किया जा सकेगा। इसके अलावा बोन मैरो से भी स्टेम सेल्स को स्टोर करने की सुविधा होगी। यही नहीं स्टेम सेल्स की जरूरत पड़ने पर उन लोगों को भी मैचिंग कर दी जा सकेंगी जिनके बच्चों की सेल्स यहां पर जमा नहीं है। असल में अभी तक प्राइवेट बैकों में जो सुविधा होती है उसमें वही व्यक्ति ले सकता था जिसने स्टोर किया हो। हालांकि, 20-25 साल तक स्टोर करने के बाद उसे फेंक दिया जाता है, क्योंकि 99 परसेंट केसेज में इसकी जरूरत ही नहीं पड़ती।

केजीएमयू ने की पायलट स्टडी

ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन की डॉ। तूलिका चंद्रा की टीम ने संस्थान में स्टेम सेल्स पर पिछले 6-7 सालों में पायलट स्टडी पूरी की है। उसके बाद ही बैंक की स्थापना का प्रस्ताव बना। अंबलीकल कार्ड से 300 मरीजों और बोन मैरो की स्टेम सेल से 100 मरीजों में प्रोसेसिंग की गई। बोन मैरो की स्टेम सेल्स से बहुत से मरीजों को प्रयोग कर ठीक भी किया जा चुका है। लेकिन बड़े स्तर पर मरीजों का इलाज करने के लिए बैंक बनाना और एक्सप‌र्ट्स की तैनाती जरूरी है। प्रस्ताव के मुताबिक, स्टेम सेल बैंक में एक माड्यूलर लैब होगी। जिसकी जगह डिसाइड हो चुकी है। प्रस्ताव में टेक्निकल सुपरवाइजर, टेक्नीशियन, अटेंडेंट और अन्य एक्विपमेंट मांगे गए हैं।

80 से अधिक बीमारियों का इलाज संभव

स्टेम सेल्स की बदौलत जेनेटिक, मेटाबोलिक, इम्यून डिस्आर्डर्स और ब्लड से जुड़ी 80 से अधिक बीमारियों जैसे कैंसर, स्किल सेल डिजीज, थैलीसीमिया, एप्लास्टिक एनीमिया, ल्यूकीमिया, स्पाईन की समस्याओं सहित अन्य आनुवांशिक बीमारियों का इलाज हो सकेगा।

क्या है स्टेम सेल थेरेपी

शिशु की अंबलीकल कार्ड की पहले मेडिकल फील्ड में कोई उपयोगिता नहीं थी और इसे फेंक दिया जाता था। लेकिन बाद में अंबलीकल कार्ड के ब्लड से शोध के लिए स्टेम सेल लिए जाने लगे। अब इन्हीं स्टेम सेल का प्रयोग कई रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है। बच्चे के पैदा होने पर अंबलीकल कार्ड ब्लड व टिश्यूज को प्रिजर्व किया जाता है।

स्टेम सेल बैंक के लिए प्रस्ताव शासन के पास भेजा गया है। जिसके लिए सैद्धांतिक सहमति मिल चुकी है। बजट पास होने के बाद शताब्दी फेज-2 में इसकी स्थापना की जाएगी।

डॉ। तूलिका चंद्रा, एचओडी, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग