रक्षा मंत्रालय के शिपयार्ड गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड GRSE ने मंगलवार को भारतीय नौसेना को चौथा पनडुब्बी रोधी टोही युद्धपोत सौंपा। इस युद्धपोत का नाम कवरत्ती बताया जा रहा है।

कोलकाता (पीटीआई)रक्षा क्षेत्र के पीएसयू 'गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड' (GRSE) ने मंगलवार को भारतीय नौसेना को अपनी चौथी एंटी-सबमरीन वारफेयर स्टील्थ 'कवरत्ती' सौंपी। अधिकारियों ने बताया कि कवरत्ती चार एंटी-सबमरीन वारफेयर कॉरवेट (एएसडब्ल्यूसी) की सीरीज का आखिरी युद्धपोत था, जिसे प्रोजेक्ट 28 के तहत कोलकाता स्थित जीआरएसई ने बनाया था।जीआरएसई ने कहा कि इस सीरीज के पहले तीन युद्धपोत आईएनएस कामोर्ता, आईएनएस कदमत और आईएनएस किल्तान पहले ही सौंपे जा चुके हैं और वह भारतीय नौसेना के पूर्वी बेड़े का एक अभिन्न हिस्सा हैं। उन्होंने बताया कि वे मलेशिया, सिंगापुर और अन्य देशों में कई विदेशी अभियानों और अंतरराष्ट्रीय समुद्री प्रदर्शनियों में लगे हुए हैं।

युद्धपोत को बनाने में किया गया 90 प्रतिशत देशी सामान का उपयोग

बता दें कि प्रोजेक्ट 28 को 2003 में मंजूरी मिली थी और इसके द्वारा बनाए गए टोही युद्धपोतों का नाम लक्षद्वीप द्वीपसमूह के टापुओं के नाम पर रखा गया है। अधिकारियों ने बताया कि आईएनएस किल्तान ने कुछ दिन पहले एक प्रतिष्ठित मालाबार 2019 युद्धाभ्यास में भाग लिया था जिसमें भारत-जापान-अमेरिका की नौसेनाओं ने सहयोग बढ़ाने के लिए एक्सरसाइज किया था। उन्होंने बताया कि पी -28 सीरीज के जहाज को बनाने में 90 प्रतिशत स्वदेशी सामान का इस्तेमाल हुआ है और यह परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध की स्थिति में लड़ने में सक्षम हैं। इनमें कई तरह के सेंसर और हथियार लगाए गए हैं। कवरत्ती और आईएनएस किल्तान देश के पहले दो प्रमुख युद्धपोत हैं जिनमें कार्बन फाइबर मिश्रित सामग्री से बने सुपरस्ट्रक्चर की अनूठी विशेषता है।

Posted By: Mukul Kumar