सुनने में भले ही अजीब लगे या आप यकीन ना करें पर सच ये है कि पाकिस्तानी सरकार की नजर में छब्बीस ग्यारह के मास्टर माइंड कहे जाने वाले एक्टिविस्ट हाफिज सईद की ऑग्रेनाइजेशन जमात उद दावा संदेहास्पद है और उसने इस पर निगरानी रखने का र्निणय लिया है।


चैरिटी के अलावा कामों से जुड़ने पर होगी कार्यवाही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एनएसए) की बैठक से पहले पाकिस्तान ने माहौल बनाने की कोशिश की है। गृह राज्यमंत्री ने मुंबई हमले के सरगना एवं लश्कर आतंकी हाफिज सईद की संस्था जमात-उद दावा की गतिविधियों पर निगरानी रखने की बात कही है। संसद के ऊपरी सदन सीनेट में एक सवाल के जवाब में गृह राज्य मंत्री बलीघुर रहमान ने बुधवार को बताया, 'जमात को संदिग्ध संगठनों की सूची में रखा गया है। चैरिटी के अलावा अन्य गतिविधियों में लिप्त पाए जाने पर इसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। मंत्रालय उसकी गतिविधियों की निगरानी करा रहा है।' कुछ सांसदों ने जाहिर किया था शक


पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सीनेटर फरहतुल्ला बाबर ने प्रतिबंधित संगठनों का संरक्षण और खुफिया एजेंसियों की भूमिका विषय पर इस मामले को उठाया था। उन्होंने कहा कि ऐसे संगठन खुद को चैरिटी संगठनों में तब्दील कर मंसूबों को अंजाम देते हैं। इससे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचता है।

दोनों देशों के एनएसए के बीच 23-24 अगस्त को वार्ता प्रस्तावित है। बाबर ने कहा कि सरकार ने 7 जुलाई को लाहौर हाई कोर्ट के फैसले को सदन में साझा करने का वादा किया था। उसपर अब तक अमल नहीं होने पर ऐसा लगा कि कोर्ट ने जमात को संचालन की अनुमति नहीं दी। रहमान ने बताया कि जमात पर वर्ष 2008 में प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन 2010 में कोर्ट ने संस्था को चैरिटी से जुड़े काम करने की अनुमति दे दी थी।

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Posted By: Molly Seth