खुले में पेशाब करने वाले इंजीनियर पर जुर्माना
हरिद्वार के ज़िलाधिकारी दीपक रावत कुछ रोज़ पहले, कलेक्ट्रेट परिसर से गुजर रहे थे कि उनकी नज़र पेशाब करते व्यक्ति पर पड़ी। उसे रोककर उन्होंने डांट लगाई और खुले में पेशाब न करने की हिदायत दी।
व्यक्ति ने जब अपना परिचय सरकारी अधिकारी के रूप में दिया तो ज़िलाधिकारी ने उस पर 5000 रुपए का जुर्माना लगाने का आदेश जारी कर दिया।वो अधिकारी म्युनिसिपैलिटी में ही कार्यरत जूनियर इंजीनियर हैं।दीवक रावत की छवि एक सख़्त और अनुशासनप्रिय अफ़सर की है।रावत ने बीबीसी को फ़ोन पर बताया, "पब्लिक यूरिनेशन के लिए रूल्स बने हैं। म्युनिसिपैलिटी के भी हैं और उत्तराखंड सरकार ने भी बनाए हैं। चालान का प्रावधान भी है।"वो कहते हैं, "सरकारी अधिकारी से तो इस तरह की उम्मीद नहीं की जा सकती। उन्हें तो खुले में शौच न करने के ख़िलाफ़ ब्रांड एम्बेसडर बनना चाहिए।"
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दिल दहलाने देने वाली एक घटना पिछले महीने दिल्ली में ही हुई। एक ई-रिक्शा चालक इसीलिए पीट-पीट कर मार दिया गया क्योंकि उसने कुछ लड़कों को खुले में पेशाब करने से रोका था।
लेकिन खुले में शौच न करने के जागरूकता अभियान का दूसरा पहलू भी चिंताजनक है। एक अलग तरह का उग्र और हिंसक विजिलांटी इस मामले में भी उभर रहा है।National News inextlive from India News Desk