राज्य सरकार की विशेष अपील पर हाई कोर्ट ने यूनिवर्सिटी से मांगा अल्पसंख्यक छात्रों का ब्यौरा

पूछा, क्या-क्या सुविधाएं दे रहे हैं छात्रों को

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भाषायी अल्पसंख्यक डीम्ड संतोष विश्वविद्यालय गाजियाबाद से पिछले व इस वर्ष के मेडिकल कोर्स में प्रवेश पाए छात्रों की सूची मांगी है। पूछा है कि स्वयं को अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय घोषित कर सरकारी सुविधाएं लेने वाली यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यकों के लिए क्या कर रही है। कोर्ट की टिप्पणी थी कि अल्पसंख्यक संस्थाएं डोनेशन लेकर आम छात्रों का प्रवेश लेने तथा सरकार से सुविधाएं लेते हैं।

राज्य को हस्तक्षेप का अधिकार नहीं

यह आदेश चीफ जस्टिस डीवी भोसले तथा जस्टिस यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने राज्य सरकार की विशेष अपील पर दिया है। अपील पर वरिष्ठ अधिवक्ता नवीन सिन्हा व मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश उपाध्याय तथा विश्वविद्यालय के अधिवक्ता अनुराग खन्ना ने बहस की। बता दें कि मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया ने मेडिकल प्रवेश टेस्ट लिया। प्रदेश सरकार की काउंसिलिंग से प्रदेश में छात्रों का प्रवेश हो रहा है। याची विश्वविद्यालय ने अल्पसंख्यक होने के नाते ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया शुरू की है जिस पर राज्य सरकार ने रोक लगा दी। विपक्षी के अधिवक्ता का कहना है कि विश्वविद्यालय को केंद्र सरकार ने मान्यता दी है। राज्य सरकार को हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है। सरकार के आदेश के खिलाफ याचिका पर जस्टिस सुनीत कुमार ने प्रवेश लेने की छूट देते हुए इसे मुकदमे के निर्णय की विषय वस्तु करार दिया है जिसे राज्य सरकार ने अपील में चुनौती दी है। कोर्ट ने जानना चाहा है कि विश्वविद्यालय में कितने तमिल भाषा-भाषी अल्पसंख्यक छात्र पढ़ रहे हैं। साथ ही प्रवेश प्रक्रिया में पादर्शिता रखना चाहिए।

सौ आवेदकों के बीच चुने गए शंभू

उप लोकायुक्त पद पर शंभू सिंह यादव की नियुक्ति मामले में राज्य सरकार ने गुरुवार को हाईकोर्ट में पूरी नियुक्ति प्रक्रिया सामने रखी। यह बताया कि उनका चयन सौ आवेदकों के बीच हुआ। इसके लिए बाकायदा सर्च कमेटी गठित की गई थी। चीफ जस्टिस डीबी भोसले तथा जस्टिस यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने राज्य सरकार से नियुक्ति प्रक्रिया की जानकारी मांगी थी। प्रमुख सचिव ने हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने 24 फरवरी को उप लोकायुक्त चयन का विज्ञापन दिया। आवेदन 18 मार्च तक लिए गए। उप लोकायुक्त पद के लिए कुल 100 आवेदन आए जिसमें से छह हाईकोर्ट के पूर्व व कार्यरत जज, नौ आइएएस, तीन पीसीएस, 43 जिला न्यायाधीश व अन्य न्यायिक अधिकारी, दो आइपीएस, नौ अपर जिला जज एवं 28 अन्य शामिल थे।

राकेशधर मामले की सुनवाई नहीं

पूर्व कैबिनेट मंत्री राकेशधर त्रिपाठी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में दाखिल चार्जशीट की वैधता के खिलाफ याचिका की सुनवाई नहीं हो सकी। न्यायमूर्ति वीके शुक्ल तथा न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी की खंडपीठ के एक न्यायमूर्ति ने स्वयं को सुनवाई से अलग कर लिया। अब याचिका की सुनवाई 12 सितंबर को मुख्य न्यायाधीश द्वारा नामित अन्य पीठ करेगी।

Posted By: Inextlive