बीरो ब्रदर्स को जून 1943 में जिस यूएस पेटेंट 2390636 के मालिक होने का दर्जा मिला उसे आज दुनिया बॉलपॉइंट पेन के नाम से पहचानती है। इस खुशी में आज भी 10 जून को पूरी दुनिया में बाॅल प्वाॅइंट पेन डे मनाया जाता है।


बीरो फाउंटेन पेन के प्रयोग के दौरान स्याही और धब्बों से परेशान थेकानपुर। बॉलपॉइंट पेन का अविष्कार पत्रकार लैडिसलाव जोस बीरो ने किया था। 29 सितंबर 1899 को हंगरी के बुडापेस्ट में एक यहूदी परिवार में  जन्में बीरो पेशे से  एक पत्रकार, पेंटर और आविष्कारक थे।मिड डे की एक रिपोर्ट के मुताबिक वह फाउंटेन पेन के प्रयोग के दौरान स्याही और धब्बों से परेशान रहते थे।लैडिसलाव जोस बीरो ने इस परेशानी से निकलने का निश्चय कियाऐसे में एक बार लैडिसलाव जोस बीरो एक प्रेस में गए। वहां उन्होंने देखा कि अखबारों को कितनी कुशलता से मुद्रित किया जाता है और इनकी स्याही भी सूख जाती है। वहीं इसके विपरीत फाउंटेन पेन का लिखा काफी देर में सूखता था।वह काफी खुश हुए और इस परेशानी का हल निकालने का निश्चय किया। भाई ग्योरगी  की मदद से एक निब में स्याही की एक पतली फिल्म लगाई


लैडिसलाव जोस बीरो ने अपने भाई ग्योरगी बीरो की मदद ली। इस दौरान उन्होंने एक निब में स्याही की एक पतली फिल्म लगाई। इस दौरान जब निब का कागज के साथ संपर्क आती तो गेंद घूमने लगती और कार्टेज से स्याही प्राप्त करती थी। इससे लिखने का काम काफी अच्छा हुआ और उन्हें सफलता मिली।

बॉलपॉइंट पेन कई देशों में आज भी बीरो के नाम से ही जाना जाता है लैडिसलाव जोस बीरो ने और ग्योरगी बीरो ने 1931 में बुडापेस्ट इंटरनेशनल फेयर में बॉलपॉइंट पेन का पहला प्रोटोटाइप प्रस्तुत किया। इसके बाद इस पेन को 1938 को बीरो नाम से पेटेंट करवाया था। खास बात तो यह है कि कई देशों में आज भी इस पेन को बीरो के नाम से ही जाना जाता है।

Posted By: Shweta Mishra