भारत के इस गांव को रोशन किया IIT मद्रास के इंजिनियरों ने
एसी की जगह डीसी का करा इस्तेमाल
देश में एसी यानी ऑल्टरिंग करंट का यूज कर के इलेक्ट्रिसिटी पहुंचाई जाती है लेकिन आईआईटी के इन छात्रों ने एसी का यूज ना कर के डायरेक्ट करंट यानी डीसी का यूज किया है। उनका कहना है कि डीसी बिजली का इस्तेमाल कोई नया तरीका नहीं है बल्कि पहले इसी तरीके का यूज होता था। उन्होनें बस इस तरीके को फिर से विकसित किया है और उन तमाम घरों को रोशन किया है जहां के लोगों ने बिजली पाने की उम्मीद ही छोड़ दी थी। मद्रास के इन आईआईटी के इंजिनियर का ये भी कहना है कि डीसी के इस्तेमाल से दूरदराज के क्षेत्रों में बिजली पहुंचाना आसान हो जाएगा।
सोलर पैनल लगाए गए
गांव के जिन घरों में डीसी का इस्तेमाल कर के बिजली आपूर्ति की जा रही है वहां पर इन्वरटर विहीन बिजली आपूर्ति का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन गांवो में एक वर्ग मीटर का सोलर पैनल लगा दिया गया है। इस पैनल से पैदा होने वाली बिजली चार लेड एसिड बैटरियों में संग्रहित कि जाती है। ऐसे में एसी करंट पर चलने वाले सभी उपकरण डीसी करंट पर चलने लग जाते हैं। इंजिनियरों का कहना है कि डीसी का इस्तेमाल पर्यावरण के अनूकूल है और साथ ही पर्यावरण में ग्रीन हाउस गैस के लेवेल को भी नहीं बढ़ाता है। फलोदी के हर घर में एक पंखा, एक एलईडी ट्यूबलाइट, एक एलईडी बल्ब और फोन चार्ज करने के लिए एक प्वाइंट दिए गए हैं। ये यभी प्वांट डासी करंट से ही चलते हैं। इस तकनीक से अब तक 1800 घरों को जोड़ा जा चुका है और जल्द ही ये लोग 2200 और घरों को इस तकनीक के द्वारा जोड़ देंगे।