Patna : देश के 13वें प्रेसिडेंट प्रणब मुखर्जी को अपनी बिहार यात्रा के दौरान फस्र्ट प्रेसिडेंट राजेंद्र बाबू की दो बार याद आई. एयरपोर्ट से उतरने के बाद राजेंद्र चौक पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किए और गवर्नर हाउस में राजेंद्र मंडपम का इनॉगरेशन. अगर यही समाधि स्थल दिल्ली में बनता तो ऐसी दुर्गति नहीं होती. लेकिन राजेंद्र बाबू की ही इच्छा थी कि वे अंतिम सांस अपने राज्य में ही लें और वहीं उनकी समाधि भी बने.


समाधि स्थल की हालत जर्जरदेश के प्रेसिडेंट प्रणब मुखर्जी जब एसकेएम में कृषि रोड मैप का इनॉगरेशन कर रहे थे, ठीक उसी समय देश के पहले प्रेसिडेंट डॉ। राजेंद्र प्रसाद के समाधि स्थल पर बैठकर लोग जुआ खेल रहे थे। कुर्जी स्थित राजेंद्र प्रसाद के घर पर जाने वालों को घुटने भर पानी से होकर गुजरना पड़ता है। अगर महामहिम इधर आ जाते, तो एक दिन के लिए ही सही, यह नजारा तो नहीं दिखता। सच्चाई यही है कि एडमिनिस्ट्रेशन और गवर्नमेंट की लापरवाही के कारण राजेंद्र प्रसाद के घर और समाधि स्थल की हालत जर्जर हो गई है। सोचने वाली बात है कि यहां के लोकल नेताओं से लेकर देश के प्रेसिडेंट तक को इसकी फिक्र नहीं है। दीवारों व तस्वीरों की हालत खराब
कुर्जी स्थित उनके आवास की हालत काफी जर्जर है। वाटर लॉगिंग की वजह से फर्श फट चुका है। दीवारों पर लगी उनकी दुर्लभ तस्वीरें धीरे-धीरे खराब होती जा रही हैं। कई बार इस संबंध में लेटर भी लिखा जा चुका है। 1982 के आसपास प्रेसिडेंट ज्ञानी जैल सिंह के अलावा किसी भी प्रेसिडेंट ने यहां का रुख नहीं किया है। डॉ। राजेंद्र प्रसाद की म्यूजियम और घर को देख रहे मनोज कुमार वर्मा ने बताया कि उपेक्षा तो इस कदर है कि अब उम्मीद भी धीरे-धीरे खत्म हो रही है.  First president की यादेंडॉ। राजेंद्र प्रसाद को दिए गए 'भारतरत्न' सम्मान की ऑरिजिनल कॉपी पानी में खराब हो गई है। किसी तरह प्रेसिडेंट हाउस से डुप्लीकेट कॉपी निकालकर फिर से लगाया गया है। अपनी पूरी जिंदगी राजेंद्र बाबू ने जिस कमरे और पलंग पर गुजारी, ऐसे 307 दुर्लभ सामान और फोटोग्राफ्स के बाद भी म्यूजियम बन चुके उनके घर तक पहुंचना मुश्किल है।समाधि स्थल को देखने वाला कोई नहीं गांधी मैदान से एक किलोमीटर की दूरी पर बांसघाट स्थित राजेंद्र बाबू का समाधि स्थल नशेडिय़ों का अड्डा बना हुआ है। इसके चारो तरफ गंदगी फैली रहती है। समाधि स्थल का यूज लोग कपड़ा सुखाने या फिर कचरा डम्प करने के लिए करते हैं.   कैसा है राजेंद्र मंडपम?राजेंद्र मंडपम में राजेंद्र बाबू की प्रतिमा 140 फीट लंबी और 80 फीट चौड़ी है। नीले रंग के कार्बोरेटेड शीट से इसकी छत बनाई गई है। मंडपम के बीचो-बीच दो बड़े गुंबद बनाए गए हैं। हालांकि उनके घर या समाधि स्थल की याद नहीं आई।

Posted By: Inextlive