चीनी सैनिकों के साथ झड़प में शहीद हुए 20 जवानों के पार्थिव शरीर उनके घर पहुंच गए। अपने लाल की शहादत के बाद पूरे देश में चीन के खिलाफ गुस्सा है। जगह-जगह चीनी सामान जलाए गए।


पटना/झारखंड/रामनाथपुरम (पीटीआई)। लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में देश के 20 जवान शहीद हो गए। इसमें से पांच बिहार राज्य के हैं। बुधवार को जवानों का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा। समस्तीपुर जिले में, सिपाही अमन कुमार सिंह के परिवार के सदस्य उस समय परेशान थे, जब उन्हें पता चला कि पिछले साल ही शादी करने वाले जवान ने अपनी जान गंवा दी। गाँव के निवासी भाई रणधीर ने कहा, "अमन ने जो बलिदान दिया है उससे हम सभी गर्व महसूस कर रहे हैं लेकिन उसके परिवार के सदस्य स्वाभाविक रूप से बिखर गए हैं।' राजद विधायक इजय यादव, जिनके राजनगर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत मृतक जवान का गांव पड़ता है, ने भी घर का दौरा किया और दु: खी परिवार के सदस्यों को सांत्वना देने की कोशिश की।शादी होने से पहले विदा हुआ लाल


वैशाली जिले के चकफतह गाँव में, जय किशोर सिंह की माँ तब से रो रही हैं जब उन्हें पता चला कि उनका छोटा बेटा, जो दो साल पहले सेना में शामिल हुआ था। वह लद्दाख में शहीद हो गया। परिवार वालों की मानें तो जवान की जल्द ही शादी होने वाली थी। उनके पिता राज किशोर सिंह जो एक किसान हैं। उन्होंने कहा, "वह अपने बड़े भाई नंद किशोर सिंह से प्रेरित थे, जो परिवार में सेना में शामिल होने वाले पहले व्यक्ति थे। हमें एक असहनीय नुकसान हुआ है, लेकिन हमें संतोष है कि हमारा बेटा शहीद के रूप में याद किया जाएगा।' इसी तरह की भावनाएं सहरसा के निमिन्द्र यादव ने व्यक्त कीं, जिन्होंने अपने बेटे कुंदन कुमार को खो दिया। कुंदन कुमार 2012 में सेना में शामिल हुए थे। राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कुंदन के शोक संतप्त परिवार से संपर्क किया और उन्हें हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया।बेटी को नहीं देख पाए

बिहार के अलावा झारखंड ने भी अपने दो सपूतों को खो दिया। इसमें एक जवान कुंदन कुमार ओझा और दूसरे गणेश हांसदा हैं। महज 17 दिन पहले एक बेटी के पिता बनने वाले ओझा ने अपनी मां को फोन पर वादा किया था कि ड्यूटी से छुट्टी मिलते ही वह घर आएंगे। साहिबगंज जिले के दिहारी गाँव के किसान रवि शंकर ओझा और भवानी देवी के चार बच्चों में से दूसरा कुंदन ओझा 2011 में सेना में शामिल हुआ था। डेढ़ साल पहले उसकी शादी हुई थी। मगर शहीद होने के बाद वह अपने परिवार को अकेला छोड़ गए। इसी तरह सिपाही गणेश हांसदा 21 साल की उम्र में 2018 में सेना में शामिल हुए थे और उनकी पहली पोस्टिंग लद्दाख में थी। गणेश के बड़े भाई दिनेश ने कहा, 'हमें मंगलवार रात मुख्यालय से फोन पर उनकी शहादत के बारे में जानकारी मिली ... हम बहुत दुखी हैं, लेकिन बहुत गर्व है कि उन्होंने देश के लिए अपना बलिदान दिया।"कर्ज लेकर बनवाए घर में नहीं रह पाए एक दिनतमिलनाडु का एक जवान भी शहीद हुआ है। बुधवार को सैनिक के पलानी का पार्थिव शरीर उनके पैतृक निवास रामनाथपुरम पहुंचा। यहां उन्हें बंदूक की सलामी दी गई। फिर उन्हें कडकलुर गांव में दफनाया गया। पलानी के दोस्तों और रिश्तेदारों की मानें तो पलानी अपने नवनिर्मित घर में बसना चाहते थे, मगर उनका यह सपना अधूरा रह गया। 10वीं पास करके 18 साल की उम्र में भारतीय सेना में शामिल होने वाले पिलानी ने कर्ज लेकर घर बनाया था और वहीं बसना चाहते थे। पलानी का जन्म कालीमथु में हुआ था और लोगमबल में अपनी स्कूली शिक्षा शुरु की। हालांकि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। इसलिए वह 10वीं क्लाॅस से ज्यादा नहीं पढ़ पाए। बाद में उन्होंने डिस्टेंस लर्निंग से ग्रेजुएशन पूरा किया।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari