भारतीय वैज्ञानिकों ने पाया है कि बिना लक्षण वाले कोविड-19 मामलों और वायरल लोड संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल में वायरस की ज्यादा मात्रा के बीच गहरा संबंध है। वैज्ञानिकों ने तेलंगाना में 200 मरीजों के साथ एसएआरएस कोव-2 वायरस का अध्ययन किया। शोध में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं। ये नतीजे नोवल कोरोना वायरस के संक्रमण को नियंत्रित करने में नियम बनाने में काम आएंगे।


नई दिल्ली (पीटीआई)। शोधकर्ताओं में हैदराबाद स्थित सेंटर फाॅर डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एंड डाइग्नोस्टिक्स (सीडीएफडी) से भी शामिल हैं। इनकी सलाह है कि बिना लक्षण वाले (एसिम्प्टमैटिक) मरीजों की प्राइमरी और सेकेंड्री कान्टैक्ट्स की पहचान करके उनकी कोविड-19 जांच होनी चाहिए। सीडीएफडी लैब्रटोरी ऑफ माॅलीक्यूलर ऑन्कोलाॅजी के मुरली धरन भाष्यम ने कहा कि एसिम्प्टमैटिक मरीजों से संक्रमण की संभावना पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। शायद उनमें अच्छी इम्युनिटी हो। उनसे फैलने वाला संक्रमण से किसी की इम्युनिटी पर इतना खराब असर न पड़ता हो जिससे मृत्यु दर बढ़े।तेजी से बदल रहा है वायरस अपना रूप
नई दिल्ली स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलाॅजी (एनआईआई) के इम्यूनोलाॅजिस्ट सत्यजीत रथ ने इस शोध की प्रतिक्रिया में कहा कि वे एसिम्प्टमैटिक मरीजों में ज्यादा वायरल लोड की बात से हतप्रभ हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि तेलंगाना में बड़े पैमाने पर और तेजी से संक्रमण फैला है। आधा अप्रैल के बीत जाने के बाद इसमें खासा तेजी आई। मंगलवार को संक्रमण के 2,734 नये मामले और 9 लोगों की मौत की रिपोर्ट है। राज्य में अब तक 1.27 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं। तेलंगाना के 210 मरीजों के वायरस सैंपल्स की संपूर्ण जीनोम का विश्लेषण किया गया। इसमें पाया गया है कि वायरल जीनोम तेजी से अपना रूप बदल रहे हैं।

Posted By: Satyendra Kumar Singh