आवश्‍यकता ही आविष्‍कार की जननी है। इसे सच कर दिखाया है बेंगलुरु के एक इंजीनियर ने। इंजीनियर ने एक ऐसी कार बनाई है जो बिना ड्राइवर के ट्रेफिक में चल सकेगी। हलांकि अभी तक इसको ट्रेफिक में टेस्‍ट नहीं किया गया है। जल्‍द ही बेंगलुरु की सड़कों पर बिना ड्राइवर की कार नजर आएगी।


ऐसे आया बिना ड्राइवर वाली कार का ख्यालबेंगलुरु निवासी रोशी जॉन कुछ साल पहले एयरपोर्ट से अपने घर लौट रहे थे। नींद से जूझते रोशी के ड्राइवर ने दूसरी गाड़ी को लगभग टक्कर मार ही दी थी। जॉन ने किसी तरह स्टियरिंग संभाली और खुद कार ड्राइव कर ड्राइवर को उसके घर छोड़ा फिर खुद घर गए। बेहद करीब से हुई मौत से जॉन की इस मुलाकात ने उन्हें सोचने के लिए मजबूर कर दिया। पांच साल बाद जॉन और उनके कुछ दोस्तों ने देश की पहली बिना ड्राइवर वाली कार टाआ नैनो ऑटोनॉमस डिवेलप की है। जॉन बताते हैं कि टाटा नैनो को इंजिनियरिंग की नायाब पेशकश माना जाता है। एक भारतीय टेक्नॉलजी के टेस्ट के लिए भारत में बनाई कार से बेहतर और क्या होगा29 सदस्यी टीम ने तैयार किया कार थ्री डी मॉडल
टीसीएस के रोबॉटिक्स और कॉग्निटिव सिस्टम डिपार्टमेंट के हेड जॉन ने अपने 29 सदस्यों की टीम के साथ खाली वक्त में सॉफ्टवेयर और एल्गोरिदम पर काम किया। उन्होंने टेस्ट के लिए एक थ्री डी मॉडल भी बनाया है। जॉन की इस कार का अभी सड़क पर परीक्षण बाकी है। उन्हें उम्मीद है कि ट्रैफिक पुलिस जल्द ही इसकी इजाजत दे देगी। साल 2011 में जॉन ने अपने इस एक्सपीरीमेंट के लिए टाटा की नैनो कार खरीदी थी। दुनियाभर में डेमलर, निसान, जनरल मोटर्स, बीएमडब्लूए, गूगल और टेस्ला जैसी बड़ी कंपनियां बिना ड्राईवर की कार के विकास पर काम कर रहीं हैं।

Posted By: Prabha Punj Mishra