कांग्रेस से जुड़े नए विवाद को जन्म दे दिया है पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निकट सहयोगी रह चुके माखन लाल फोतेदार की किताब ने। इस किताब में ना सिर्फ जड़ो में पैठी कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति की झलक है बल्कि ये भी बताया गया है कि इंदिरा तो प्रियंका गांधी को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहती थीं पर उन्हें डर था कि उसका हक छीन लिया जायेगा।


इंदिरा जी प्रियंका को बनाना चाहती थीं प्रधानमंत्री


पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के करीबी रहे माखन लाल फोतेदार ने अपनी किताब 'चिनार लीव्स' में इंदिरा के जीवन से जुड़े कुछ पहलुओं को उजागर किया है। इसमें उन्होंने लिखा है इंदिरा को प्रियंका में अपना उत्तराधिकारी होने के गुण नजर आए थे। लेकिन उनका विचार सोनिया गांधी को पसंद नहीं था और वो इसे सुन कर नाराज हो गई थी। फोतेदार ने अपने कार्यकाल के कुछ खास समय को किताब की शक्ल में पेश किया है। इसी में इंदिरा गांधी के बारे में उन्होंने ये भी लिखा है कि उनको अपनी मृत्यु का पूर्वाभास हो गया था और इसके बाद ही अपनी हत्या के कुछ पहले उन्होंने फोतेदार से कहा था कि प्रियंका में उनके उत्तराधिकारी होने की झलक दिखती है। फोतेदार ने ये भी लिखा है कि कहा कि एक इंटरव्यू में इंदिरा जी ने कहा था कि प्रियंका को उत्तराधिकार से वंचित किया जा सकता है। पर उसे मौका मिलना चाहिए वो काफी सफल हो सकती है। सोनिया ने दवाब में किया प्रधानमंत्री बनने से इंकार

फोतेदार की यह किताब 30 अक्टूबर को राजधानी में लॉन्च हो रही है। किताब में इंदिरा की अक्टूबर 1994 में हुई आखिरी कश्मीर की यात्रा का विशेष विवरण किया गया है। इसी किताब में फोतेदार ने पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह के उस दावे का भी समर्थन किया है जिसमें कहा गया था कि 2004 में सोनिया गांधी ने अंतररात्मा की आवाज के चलते नहीं बल्कि पारिवारिक दबाव के चलते प्रधानमंत्री बनने से इनकार किया था।कांग्रेस की राजनीति की झलक इस पूर्व कांग्रेसी नेता ने लिखा है कि वी पी सिंह की सरकार के गिर जाने के बाद पूर्व राष्ट्रपति आर. वेंकटरमन ने राजीव गांधी को प्रधानमंत्री बनाने का विरोध किया था। वह प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री बानाने के पक्ष में थे। स्वर्गीय कांग्रेस नेता माधवराव सिंधिया भी 1999 में मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाने की सोनिया की योजना से खुश नहीं थे। उन्होंने इसे रोकने के लिए समाजवादी पार्टी के अमर सिंह के साथ लॉबिंग भी की थी। किताब में यह भी दावा किया गया है कि अरूण नेहरू को राजीव गांधी की गुड बुक से बाहर करने में सोनिया और कैप्टन सतीश शर्मा की खास भूमिका रही थी।

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Posted By: Molly Seth