सुप्रीम कोर्ट ने 4 मार्च 2014 को संप्रग सरकार द्वारा जारी जाटों को आरक्षण देने वाली अधिसूचना रद कर दी है. जिससे जाट संगठन काफी नाराज हैं. अपना विरोध प्रकट करने के लिए उन्होंने आगरा एक्सप्रेस वे पर प्रोटेस्ट किया.


कल सुप्रीम कोर्ट का जाट आरक्षण रद्द होने का आदेश सामने आया और इसका विरोध भी शुरू हो गया. अब पता चला है कि बुधवार सुबह 10.30 बजे के करीब जाटों ने आगरा से दिल्ली जाने वाले एक्सप्रेस वे पर जाम लगाकर प्रोटेस्ट किया. प्रदर्शनकारियों ने एक घंटे तक जम कर नारेबाजी की. इस वजह से इस मार्ग पर यातायात काफी प्रभावित हुआ है.


जाट आरक्षण की अधिसूचना रद्द होने से लाखों जाट काफी गुस्से में हैं. 23 साल के लंबे इंतजार के बाद मिले आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. इस पर जाट समाज का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश सर्वोपरि है, लेकिन पिछली सरकार ने सिर्फ राजनीतिक फायदा लेने के लिए आरक्षण जारी करने में जल्दीबाजी की और तमाम औपचारिकताएं ठीक तरह से पूरी नहीं की जिसके चलते कोर्ट में केस कमजोर पड़ गया. आगरा अलीगढ़ क्षेत्र में जाटों का करीब दस लाख का वोट बैंक है जिसमें मथुरा के जाट वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है. क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने     

नौ राज्यों के जाटों को पिछड़े वर्ग की केंद्रीय सूची में शामिल करने से असहमति जताते हुए कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि आंकड़े एक दशक पुराने है. इनके आधार पर पिछड़ेपन का आकलन नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने यह भी कहा कि राजनीतिक रूप से संगठित जाटों को पिछड़े वर्ग की सूची में सिर्फ इस आधार पर शामिल नहीं किया जा सकता कि उनसे बेहतर स्थिति वाले लोग इसमें शामिल हैं. फैसले पर विचार के लिए सर्व जाट खाप पंचायत ने 22 मार्च को हरियाणा के जींद में बैठक बुलाई है. सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले के बाद इन नौ राज्यों के जाटों को केंद्रीय नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।     सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उठे असहमति के स्वरसुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही इस मामले पर असहमति के स्वर सुनायी देने लगे थे. रालोद के राष्ट्रीय महासचिव जयंत चौधरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जाट आरक्षण निरस्त करने का फैसला आरक्षण के दायरे में आने वाली अन्य जातियों के लिए भी खतरे की घंटी है. जाट आरक्षण रद होना अन्यायपूर्ण है. उन्होंने कहा कि मनमोहन सरकार द्वारा जाटों को आरक्षण देने का फैसला पूरी तरह सही था. वर्तमान केंद्र सरकार ने इस मामले में ठीक ढंग से पैरवी ही नहीं की.  

वहीं भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं बालियान खाप के चौधरी नरेश टिकैत ने कहा है कि आरक्षण रद होना बेहद निराशाजनक है. जाट सांसदों को इसे लागू कराने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए, विरोध करना चाहिए. यदि खत्म ही होना है तो आरक्षण सबका खत्म हो. ऐसा कानून बने कि योग्यता के आधार आरक्षण हो. सुप्रीम कोर्ट में हम भी पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे. अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने भी कहा कि सरकार जरूरी कदम उठाए. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से निराशा हुई है. जाटों के अलावा सभी खेतिहर जातियों को पूर्व में ही आरक्षण का लाभ मिल रहा है. पूरी जाट बिरादरी को आर्थिक रूप से समृद्ध बताने वालों के तर्क से हम सहमत नहीं हैं.

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Posted By: Molly Seth