मलेरिया से ऐसे करें बचाव
-मच्छरों से बचाव के लिए घरों में कीटनाशक का छिड़काव करें।
-घरों के आसपास गड्डों, नालियों, खाली डिब्बों, पानी की टंकियों, गमलों, टायर ट्यूब में पानी इकट्ठा नहीं होने दें। -सप्ताह में एक बार पानी से भरी टंकी, कूलर आदि साफ करें। -जहां पानी जमा होने से नहीं रोका जा सकता है, वहां पानी में केरोसिन या मोबिल डाले। -मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी या मॉस्किटो रिपेलेंट का इस्तेमाल करें। -कोई भी बुखार मलेरिया हो सकता है इसलिए लक्षण आने पर तुरंत ब्लड की जांच और मलेरिया पाए जाने पर सही ट्रीटमेंट करवाएं। क्या हैं लक्षण -बुखार, सिरदर्द, वोमेटिंग और फ्लू जैसे दूसरे लक्षण। -कॉशसनेस खोना। -अचानक सर्दी लगना फिर गर्मी लगकर तेज बुखार आना। -पसीना आकर बुखार कम होना और कमजोरी होना -प्रेग्नेंट महिलाओं में होने पर मां, फेटस और न्यू बोर्न बेबी को भी खतरा रहता है।इन क्षेत्रों से आ रहे मामले
जादूगोड़ा, मुसाबनी, डुमरिया, गदरा, चांडिल, नीमडीह, भिलाई पहाड़ी, पटमदा, बोड़ाम। डीडीटी रजिस्टेंट हैं ये मच्छर-नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मलेरिया रिसर्च के जर्नल ऑफ वेक्टर बोर्न डिजीज में हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार झारखंड के चार डिस्ट्रिक्ट्स सहित देश के चार स्टेट्स के 32 जिलों में मलेरिया फैलाने वाले मच्छर पर अलग-अलग इंसेक्टिसाइड के असर को बताया गया है। रिसर्च में ईस्ट सिंहभूम, गुमला, रांची और वेस्ट सिंहभूम में इन मच्छरों पर इंसेक्टिसाइड्स के असर की जांच की गई थी। जांच में ईस्ट सिंहभूम में डीडीटी से इन मच्छरों का मोर्टेलिटी रेट 23.7 परसेंट पाया गया, जबकि मेलाथियान से यह रेट 95.1 परसेंट और डेल्टामेथ्रिन से 100 परसेंट पाया गया।
मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में साल में दो बार डीडीटी का छिड़काव किया जाता है। फाइलेरिया डिपाटमेंट द्वारा एंटी लार्वा टेमिफॉस का भी छिड़काव किया जाता है। -डॉ एके लाल, डिस्ट्रिक्ट फाइलेरिया ऑफिसर मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में डिपार्टमेंट द्वारा साल में दो बार सिथेंटिक पाइरेथ्रायड्स (एसपी) का छिड़काव करवाया जाता है। डीडीटी का भी छिड़काव होता है। -डॉ बीबी टोपनो, डिस्ट्रिक्ट मलेरिया ऑफिसर पिछले 15-20 दिनों में ब्रेन मलेरिया के मामले काफी बढ़े हैं। नवंबर में हमारे यहां ब्रेन मलेरिया के 17 मामले आए। ब्रेन मलेरिया की वजह से छह पेशेंट्स की मौत भी हुई है। -डॉ शुभोजित बनर्जी, मर्सी हॉस्पिटल