बायफर में टीआरएफ, कर्मचारियों में हड़कंप
-तीन साल से घाटे में चल रही है कंपनी
-बायफर में जाने को दिया गया आवेदन -कंपनी के लिए रिवाइवल पैकेज पर भी काम शुरू -लागत नियंत्रण पर दिया जा रहा है जोरJAMSHEDPUR: टायो रोल्स के बाद टाटा ग्रुप की ही एक अन्य कंपनी टाटा रॉबिन्स फ्रेजर (टीआरएफ) भी बोर्ड फॉर इंडिस्ट्रयल एंड फायनांसियल रिकंस्ट्रक्शन (बायफर) में चली गई है। कंपनी ने बायफर में जाने के लिए आवेदन दे दिया है। हालांकि, कंपनी मैनेजमेंट ने कंपनी के लिए रिवाइवल पैकेज पर भी काम शुरू कर दिया है। लागत नियंत्रण पर जोर दिया जा रहा है। कंपनी की स्थिति में सुधार के लिए उत्पादन-उत्पादकता पर ध्यान केंद्रित किया गया है तो लागत कैसे कम होगी, इस पर भी काम हो रहा है। वित्तीय वर्ष ख्0क्भ्-क्म् में कंपनी के जमशेदपुर प्लांट को चार करोड़ म्7 लाख का घाटा हुआ है। टीआरएफ की सभी कंपनियों की बात करें तो कुल फ्म् करोड़ का नुकसान हुआ है जबकि ख्0क्ब्-क्भ् में यह घाटा म्ब् करोड़ था। हालांकि कंपनी को घाटे से उबारने के सभी उपाय शुरू हैं। बायफर में आवेदन देने के बाद वहां की टीम अब तक कंपनी निरीक्षण को लेकर नहीं पहुंची है।
केबुल व तार कंपनी भी गई थी बायफर मेंटायो व टीआरएफ से पूर्व इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड व तार कंपनी भी बायफर में चली गई थी। धीरे-धीरे कंपनी बंद हो गई थी। बंद तार कंपनी को खुलने में 8-9 साल लगे थे। केबुल कंपनी क्ब् साल से बंद है।
कंपनी तीन साल से घाटे में चल रही है। बीते माह बायफर में जाने को आवेदन किया गया है। कर्मचारियों को डरने की नहीं, जागरूक रहने की जरूरत है। कंपनी की स्थिति सुधारने को लेकर सभी प्रयास किए जा रहे हैं। उम्मीद है सभी मिल-जुलकर काम करेंगे तो छह माह के अंदर कंपनी मुनाफे में आ जाएगी। बीते तिमाई में कंपनी का प्रदर्शन बेहतर रहा है। -आरके राही, महामंत्री, टीआरएफ यूनियन फीगर स्पीक्स -ब्.म्7 करोड़ का घाटा हुआ है वर्ष ख्0क्भ्-क्म् में जमशेदपुर प्लांट को। -म्ब् करोड़ रुपए का घाटा हुआ था वित्तिय वर्ष ख्0क्ब्-क्भ् में -फ्म् करोड़ रुपए का नुकसान टीआरएफ की सभी कंपनियों का।