Ranchi : पड़ोसी देश नेपाल में पार्लियामेंटरी आइडियोलॉजी को अपनाकर सत्ता संभालनेवाले माओवादियों से झारखंड के माओवादी इंस्पायर्ड हैं. खबर है कि झारखंड में अपना दबदबा कायम कर चुके कई माओवादी अब 'गन'तंत्र का रास्ता छोड़कर 'गणतंत्रÓ का रास्ता अख्तियार करना चाह रहे हैं. वे अब झारखंड की पॉलिटिक्स में दखल ही नहीं बल्कि इसमें अपना 'कॅरियर' भी बनाना चाहते हैं.

52 Maoists to contest Loksabha election!

सोर्सेज के मुताबिक, झारखंड के 52 माओवादियों ने कमिंग लोकसभा इलेक्शन कंटेस्ट करने का मन बना लिया है। इसके लिए ये माओवादी तैयारी में जुट गए हैं। सोर्सेज के मुताबिक, इनमें से ज्यादातर माओवादी डिफरेंट पॉलिटिकल पार्टीज से टिकट ले रहे हैं, जबिक कुछ माओवादी इंडिपेंडेंटली यह इलेक्शन कंटेस्ट करेंगे। माओवादियों के पॉलिटिकल थॉट्स में अचानक आया यह बदलाव लोगों को चौंका रहा है, हालांकि माओवादियों के इस कदम को कुछ जानकार वक्त का तकाजा भर मान रहे हैं।

चाहते हैं अपनी government

झारखंड के एक प्रॉमिनेंट लीडर के मुताबिक, माओवादियों को टिकट देना या उनका इलेक्शन कंटेस्ट करना गलत नहीं है। वहीं, जानकारों का मानना है कि पॉलिटीशियन्स और माओवादियों का यह अलायंस स्वागत योग्य हो सकता है, लेकिन झारखंड जैसे छोटे स्टेट में पॉलिटिकल पार्टीज को पता है कि गवर्नमेंट बनाने और बिगाडऩे में एक-एक एमएलए का इम्पॉर्टेंट रोल होता है। ऐसे में ये पॉलिटिकल पार्टीज माओवादियों को महज अपने पर्सनल इंट्रेस्ट के लिए इलेक्शन कंटेस्ट करा रहे थे और माओवादियोंं की चाहत है मजबूत जड़ों के सहारे इलेक्शन जीतना।

Politics में luck आजमाते रहे हैं माओवादी

झारखंड में लोकसभा इलेक्शन हो या असेंबली इलेक्शन, सभी में नक्सलियों की जीत हुई है। कई बार इलेक्शन में माओवादी वोट मांगते नजर आते हैं।  झारखंड के 81 विधानसभा क्षेत्रों में कई नक्सली अपना लक आजमा चुके हैं। गौरतलब है कि झारखंड की पलामू लोकसभा सीट से माओवादियों का एक बड़ा लीडर रह चुका एक शख्स पार्लियामेंट पहुंच गया है. 

Democracy पर बढ़ा faith

पहले भी माओवादियों के कई बड़े लीडर्स ने झारखंड असेंबली इलेक्शन के लिए नॉमिनेशन फाइल किया था और कई जीते भी। माओवादियों की सेंट्रल कमिटी के मेंबर के रूप में पहचान रखनेवाले मदन जी उर्फ युगल पाल जी अब डेमोक्रेसी में आस्था जता रहे हैं। सिर्फ मदन जी ही नहीं, एक बड़े नक्सली नेता भी इस विधानसभा इलेक्शन में चर्चा में थे। माओवादी आइडियोलॉजी से जुड़े ये लोग खतरनाक हैं, इसका गवाह है वह एफिडेविट, जिसे इनलोगों ने खुद ही इलेक्शन कमीशन को सौंपा था। एफिडेविट में साफ लिखा गया था कि इनके ऊपर दर्जनों नक्सली मामले दर्ज हैं, हालांकि अब ये बंदूक के बल पर नहीं, बल्कि डेमोक्रेसी के रास्ते पŽिलक के दिलों में अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं। गौरतलब है कि ये लोग फिलहाल जेल में हैं और इनके पुराने साथियों ने इलेक्शन बायकॉट करने का एलान भी कर रखा है। फिर भी इस बार लोकसभा इलेक्शन में झारखंड से माओवादियों के बतौर कैंडिडेट खड़े होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं।

Posted By: Inextlive