रांची: रांची में पिछले 20 सालों में सप्लाई लाइन से भरोसा उठता चला गया। नतीजा यह हुआ कि लोगों ने बोरिंग और खासकर डीप बोरिंग कराना शुरू कर दिया। भू-गर्भ जल के अंधाधुंध दोहन ने सिटी के कई इलाकों को पूरी तरह से सुखा दिया है। आलम यह है कि अब शहर में जहां कहीं बोरिंग हो रही है, वह एक सीजन में ही फेल हो जा रहे हैं। रांची के लोगों ने बोरिंग तो खूब कराई, लेकिन उस अनुपात में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को तरजीह नहीं दी। इस वजह से सिटी में ग्राउंड वाटर अब पाताल पहुंच गया है। जहां सप्लाई पाइप नहीं है, वहां बोरिंग से ही पानी निकालना एक मात्र विकल्प है। इसके लगातार फेल होने से स्थिति काफी भयावह हो चुकी है।

हर इलाके में एक जैसी स्थिति

रांची में वैसे तो हर इलाके में बोरिंग की स्थिति बहुत खराब है, लेकिन कुछ इलाके ऐसे हैं जहां पानी जमीन के भीतर से निकल ही नहीं रहा है। इसमें सबसे विकट स्थिति कांके रोड और रातू रोड की है। इन दोनों इलाकों में घनी आबादी है। कांके रोड में जहां दो लाख लोग रहते हैं, वहीं रातू रोड एरिया में साढ़े तीन लाख से ज्यादा आबादी है। कांके में एक हजार फीट बोरिंग करने पर पानी मिलता तो है, लेकिन इतना भी नहीं कि हर रोज उससे एक परिवार का गुजारा हो सके। मोटर से पानी खींचने पर बूंद-बूंद पानी टंकी में आता है। कुछ ऐसी ही स्थिति रातू रोड एरिया की है। यहां मधुकम इलाके में तो पांच साल पहले जहां 120 फीट पर पानी मिलता था, वहीं अब 500 फीट नीचे जाने पर भी बोरिंग के सफल होने की गारंटी नहीं बची है।

हिंदपीढ़ी और किशोरगंज में भी पानी नहीं

बोरिंग फेल होने के मामले में हिंदपीढ़ी और हरमू रोड से सटे किशोरगंज की भी स्थिति ठीक नहीं। हिंदपीढ़ी में 45 हजार घर हैं। इनमें से 10 हजार से भी ज्यादा घरों में बोरिंग है। वहीं किशोरगंज एरिया में 15 हजार से भी ज्यादा बोरिंग है। इन इलाकों में बोरिंग का चलन बीस साल पहले शुरू हुआ था। तब पेयजलापूर्ति विभाग की ओर पाइपलाइन से पानी सप्लाई किया जाता था। वर्ष 2001 तक आबादी के अनुपात में अच्छी खासी मात्रा में पानी लोगों को मिल जाता है। अब स्थिति बिल्कुल उलट है। इन इलाकों में बेतहाशा आबादी बढ़ी है। नए घरों का निर्माण हुआ है। आवश्यकता बढ़ी है, स्त्रोत घटे हैं। इस वजह से इन इलाकों में डीप बोरिंग की जा रही है। अधिकतर बोरिंग फेल है। बरसात में वाटर लेवल बढ़ता है, तो कुछ दिनों तक बोरिंग से पानी मिलता है। लेकिन, जैसे ही गर्मी की शुरुआत होती है, लोगों की परेशानी बढ़ जाती है।

सरकारी बोरिंग भी फेल

सरकार की ओर से भी लगातार कई मोहल्लों में डीप बोरिंग कराई गई है। हरमू कॉलोनी, कैलाश नगर, विद्या नगर, न्यू मधुकम, जमुना नगर, भवानी नगर, सिरम टोली, संत जॉन स्कूल के पास गुदड़ी चौक, स्वर्ण जयंती नगर, कांटाटोली आदि इलाके में नगर निगम ने डीप बो¨रग कराई गई थी। इन इलाकों में एक-एक कर सभी बोरिंग फेल हो चुके हैं। आलम यह है कि इन इलाकों में अब केवल नगर निगम के टैंकर पहुंचने पर लोगों को एक-दो बाल्टी पानी मिलता है। कैलाश नगर की स्थिति तो बेहद खराब है। यहां तकरीबन 55 घर डीप बो¨रग फेल होने से पानी के लिए तरस रहे हैं। इन्हें काफी दूर से पानी लाना पड़ता है।

एक्सपर्ट एडवाइज

रेन वाटर हार्वेस्टिंग का पानी डीप बोरिंग में डालें। इससे पहले एक फिल्टर भी लगाएं, जिसकी कीमत 10 से 12 हजार रुपए के बीच होती है। अगर बरसात शुरू होते ही पानी बोरिंग में जाएगा, तो गर्मी में बोरिंग सूखने की स्थिति से बचा जा सकता है। इसके अलावा एक ही एरिया में कई बोरिंग करने से भी परेशानी बढ़ी है। हमें हर हाल में पानी को बचाने पर ध्यान देना होगा। इसका एक मात्र विकल्प यही है कि हम वाटर हार्वेस्टिंग को आवश्यक रूप से अपने-अपने घरों में लगाएं। ऐसा नहीं करने पर आने वाले दिनों में और विकट स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

रामविलास प्रसाद सिन्हा, पूर्व कार्यपालक अभियंता, पेयजल विभाग

Posted By: Inextlive