सिविलाइजेशन स्टेट्स ऑफ चाइना एंड इंडिया रीशेपिंग द वल्र्ड ऑर्डर का लोकार्पण राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा. रविदत्त बाजपेयी ने भारत और चीन के उभार को प्राचीन सभ्यता के संदर्भ में भी रेखांकित किया


रांची(ब्यूरो)। भारत और चीन केवल दो राष्ट्र नहीं हैैं, बल्कि दो सभ्यतागत राज्य-राष्ट्र हैैं। चीन ने भारतीय बौद्ध सांस्कृतिक परंपरा को एक दौर में नकार दिया था और फिर उसने बेहद अलग तरह की स्ट्रैटेजी तैयार की, जिसने उसे विकास की दौड़ में बेहद आगे ला खड़ा कर दिया। भारत एक राष्ट्र के रूप में सभ्यतागत काफी समृद्ध रहा, लेकिन भारतीय संस्कृति को अपनाने में हमारे लीडर्स ने काफी कंजूसी की। यही वजह रही कि पश्चिमी देशों की मीडिया ने हमें लंबे अर्से तक केवल सांप-सपेरों और गरीबों के राष्ट्र के रूप में पेश किया। उक्त बातें राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कही। वे गुरुवार को सेंट जेवियर्स कॉलेज में पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार रख रहे थे। उन्होंने कहा कि रविदत्त बाजपेयी ने पुस्तक 'सिविलाइजेशन स्टेट्स ऑफ चाइना एंड इंडिया रीशेपिंग द वल्र्ड ऑर्डरÓ में मौलिक कंटेंट प्रस्तुत किया है।
आईटी से इतिहास का सफर


लेखक रविदत्त बाजपेयी की प्रशंसा करते हुए हरिवंश ने कहा कि जब दो दशक पहले श्री बाजपेयी ने अखबारों के लिए लिखना शुरू किया, उस वक्त वे आईटी सेक्टर में काम करते थे। अंग्रेजी के मानिंद जानकार तो थे ही, हिन्दी भाषा में भी उतनी ही गहरी पकड़ थी। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अनगिनत आलेख लिखे। सबसे अलहदा आर्टिकल विश्व के महान देशों में शैक्षणिक व्यवस्था पर था। उन्होंने कहा कि बाजपेयी की यह रचना (लोकार्पित पुस्तक) दुनिया को भारत तथा चीन के उभार के मसले पर एक वीजन देने का मौलिक डॉक्युमेंट है। अच्छी शिक्षा बेहद जरूरी हरिवंश ने शिक्षा पर बात रखते हुए कहा कि चीन और भारत काफी पुरानी संस्कृति और सभ्यता के वाहक हैैं, इसके बावजूद यूरोप, अमेरिका के देश पहले विकसित हो गए। कारण यह है कि हमारी शिक्षण व्यवस्था ही काफी लचर रही। इसके अलावा हम लंबे अर्से तक अपनी सभ्यता को नकारते रहे। चीन ने तो 100 साल आगे का वीजन और प्लान तैयार कर लिया, जिस कारण उसने काफी कम समय में ही खुद को विकास की दौड़ में सबसे आगे लाकर खड़ा कर दिया। अब भारत ने पिछले एक दशक से अपना दमखम दिखाना शुरू किया है, जिसका असर साफ देखा जा रहा है। पहले भारत को जिस नजरिए से पश्चिमी दुनिया देखती थी, वह नजरिया ही बदल गया है। खुद के प्रति रहें ईमानदार

समारोह में स्वागत भाषण सेंट जेवियर्स कॉलेज के प्रिंसिपल फादर नोबोर लकड़ा ने दिया। उन्होंने कहा कि आज हिस्ट्री पढऩे के लिए एडमिशन लेने आने वाले स्टूडेंट्स से जब पूछा जाता है कि वे आगे क्या करेंगे, तो जवाब होता है कि हम सिविल सर्विसेज एग्जाम क्रैक करेंगे। फादर लकड़ा ने कहा कि यह अच्छी बात है कि आपमें वीजन है, लेकिन यह भी तय करें कि आप इतिहास में क्या पढऩे के इच्छा रखते हैैं। आप अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदार रहें और जब भी पढ़ें, तो कुछ तार्किक और संदर्भित इतिहास पढ़ें। सभी ने की तारीफमौके पर सूचना सेवा के पूर्व अधिकारी और दूरदर्शन के पूर्व केंद्र निदेशक प्रमोद कुमार झा ने पुस्तक को समकालीन संदर्भ का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज बताया। श्री झा ने इस एक पुस्तक को 8 से 10 पुस्तकों के बराबर सूचनाप्रद बताया। इसके अलावा दक्षिण बिहार विश्वविद्यालय की डॉ अंजू बाड़ा ने इस पुस्तक को साहसिक लेखन का अनुपम उदाहरण कहा। कार्यक्रम में सेंट जेवियर्स कॉलेज के इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ संजय सिन्हा, स्वाति पराशर व अन्य कई गणमान्य लोग मौजूद थे।

Posted By: Inextlive