मरीजों को बेड उपलब्ध नहीं करा पा रहा रिम्स. आज भी फर्श पर इलाज कराने को विवश हैं मरीज. सबसे खराब हालत न्यूरो और मेडिसीन की. स्वास्थ सचिव के निर्देश के बाद भी नहीं बदली व्यवस्था.


रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह फेल है। राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स में तमाम कोशिशों के बाद भी सुविधाएं बढ़ नहीं रही हैं। यहां आज भी फर्श पर ही मरीजों का इलाज किया जा रहा है, जबकि एक महीने पहले ही स्वास्थ्य सचिव ने डायनेमिक सिस्टम ऑॅफ बेड मैनेजमेंट व्यवस्था लागू करने का ऐलान किया था। यह व्यवस्था भी पूरी तरह से रिम्स के अधिकारी, पदाधिकारी और कर्मचारियों ने एड़ी चोटी लगाकर फ्लॉप कर दिया है। रिम्स में डायनेमिक सिस्टम ऑॅफ बेड के स्थान पर गैलरी और फर्श पर मरीज अपना इलाज करा रहे हैं। रिम्स में बेड समेत पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से भी मरीजों और उनके परिजनों को वंचित रहना पड़ रहा है। न्यूरो में ज्यादा परेशानी
रिम्स में सबसे ज्यादा परेशानी न्यूरो वार्ड के मरीजों को हो रही है। यहां हर वक्त क्षमता से अधिक मरीज इलाज कराते रहते हैं, जिस कारण बेड हमेशा फुल रहता है। दूसरे मरीजों को विवश होकर फर्श पर ही इलाज कराना पड़ता है। न्यूरो वार्ड में करीब 150 मरीजों को भर्ती करने की क्षमता है, जबकि अमूमन यहां 300 से ज्यादा मरीज भर्ती रहते हैं। इसके अलावा मेडिसीन, सर्जरी और हड्डी विभाग में भी यही हाल है। यहां भी बेड नहीं मिलने के करण मरीज फर्श पर ही पड़े रहते हैं। हालांकि, न्यूरो सर्जरी विभाग के कुछ मरीजों को आई वार्ड में बेड उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके बाद भी सभी मरीजों को बेड मिलना मुश्किल हो रहा है। मरीज शिफ्टिंग योजना थी कुछ दिनों पहले स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में सुधार को लेकर महत्वपूर्ण बैठक हुई थी, जिसमें स्वास्थ्य सचिव ने डायनेमिक सिस्टम ऑफ बेड मैनेजमेंट के तहत मरीजों को बेड उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। इसके तहत मरीजों को दूसरे डिपार्टमेंट में बेड उपलब्ध कराकर वहां इलाज किया जाना था, ताकि जरूरतमंद मरीजों को तुरंत बेड मिल सके और डॉक्टर को भी मरीज का इलाज करने में राहत हो। डॉक्टर्स में ही सहमति नहींइधर, पदाधिकारियों का कहना है कि डाक्टर में ही इस बात को लेकर सहमति नहीं बनने के कारण मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। डायनेमिक सिस्टम ऑफ बेड मैनेजमेंट के तहत वार्ड में प्रतिनियुक्त डॉक्टर को दूसरे डिपार्टमेंट जाकर मरीज का इलाज करने की रूपरेखा तैयार की गई थी। साथ ही मरीज को बेड पर ही दवा उपलब्ध कराए जाने का भी निर्देश दिया गया था। लेकिन एक महीने में ही सभी योजनाएं हवा-हवाई हो गई। ओपीडी में हर दिन 2000 मरीज


रिम्स में हर दिन करीब 2000 मरीज ओपीडी में इलाज कराते हैं। वहीं वार्ड में हमेशा 1500-1600 मरीज एडमिट रहते हैं, जिस कारण रिम्स में प्राय: बेड फुल की समस्या बनी रहती है। यहां करीब 150 से 200 मरीजों को इलाज फर्श पर ही कराना पड़ता है। हालांकि, रिम्स में बेड बढ़ाने को लेकर भी योजना बनाई गई है। करीब 1700 बेड बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। पहले चरण में 777 बेड बढ़ाए जाएंगे। बहरहाल ये योजना कब तक धरातल पर उतरेगी, इसका जवाब रिम्स प्रबंधन के पास भी नहीं है।

रिम्स में डायनेमिक सिस्टम ऑफ बेड मैनेजमेंट लागू है। लेकिन गंभीर मरीज को डॉक्टर दूसरे डिपार्टमेंट में शिफ्ट करना नहीं चाहते। इस कारण ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो रही है। डॉ डीके सिन्हा, पीआरओ, रिम्स

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