RANCHI: झारखंड राज्य गठन के बाद से ही लागू राज्य का प्रतीक चिन्ह (लोगो) अब बदल गया है। नई दिशा, सोच और संकल्प की प्रेरणा के साथ तैयार राज्य सरकार के इस नए प्रतीक चिन्ह का लोकार्पण राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सदस्य शिबू सोरेन व स्पीकर रबींद्रनाथ महतो की उपस्थिति में शुक्रवार को रांची के आर्यभट्ट सभागार में किया। मौके पर राज्यपाल ने कहा कि नए प्रतीक चिन्ह में झारखंड की संस्कृति, सभ्यता के अलावा पूरे भारत की भावना समाहित है। पूर्व में भी राज्य सरकार का प्रतीक चिन्ह था, लेकिन संभवत: नए प्रतीक चिन्ह की परिकल्पना का उद्देश्य झारखंड की विराट संस्कृति और जनहित की विचारधारा को इंगित करना है। इसे राज्य की जनता की संवेदनाओं से जोड़ने की पहल की गई है। उनके अनुसार, नया प्रतीक चिन्ह चक्राकार है, जो राज्य की प्रगति का प्रतीक है। उन्होंने इसकी कई अन्य विशेषताओं को भी बताया।

गौरव महसूस करेंगे लोग

प्रतीक चिन्ह के लोकार्पण के बाद मीडिया से रूबरू होते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि नए प्रतीक चिन्ह को देखकर ही लोग गौरव महसूस करेंगे। यह झारखंड की संस्कृति, समृद्धि, अस्मिता और चेतना का प्रतीक है। कार्यक्रम में दिखाए गए एक वीडियो में मुख्यमंत्री ने प्रतीक चिन्ह में उकेरे गए हाथियों पर कहा कि झारखंड का राजकीय पशु हाथी असली ताकत की पहचान है। ये अनुशासन सिखाते हैं। झारखंड के लोग भी अनुशासनप्रिय हैं, लेकिन उनके विरुद्ध अन्याय होने पर वे संघर्ष के लिए भी तैयार रहते हैं। राज्य का नया प्रतीक चिन्ह बदलाव का सारथी है। इस मौके पर विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो, मंत्री रामेश्वर उरांव, चंपई सोरेन, बन्ना गुप्ता, सत्यानंद भोक्ता, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, प्रधान सचिव हिमानी पांडेय, डीजीपी एमवी राव आदि भी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने राज्यपाल, पूर्व मुख्यमंत्री तथा स्पीकर के अलावा उपस्थित मंत्रियों को नए प्रतीक चिन्ह भेंट किए।

नए प्रतीक चिन्ह की खासियत

- राज्य का नया प्रतीक चिन्ह गोलाकार है, जिसके केंद्रीय भाग में अशोक स्तंभ उकेरा गया है। यह भारत के उत्तम सहकारी संघवाद और इसमें झारखंड की सहभागिता को दर्शाता है।

- हरा रंग राज्य की हरियाली तथा राजकीय फूल पलाश प्राकृतिक सौंदर्य को दर्शाते हैं। नए प्रतीक चिन्ह में जनजातीय त्योहारों और रोजमर्रा के कामकाज को चित्रित करने वाले जनजातीय कला को भी स्थान दिया गया है।

- इसमें उकेरे गए हाथी झारखंड के महान इतिहास, शक्ति और सामूहिक बुद्धिमत्ता के प्रतीक हैं। साथ ही, ये सभी बड़ी बाधाओं का दमन करते हुए आगे बढ़ने के संकल्प को भी दर्शाते हैं। हाथी राज्य की अलौकिक प्राकृतिक संपदा और समृद्धि के भी द्योतक हैं।

- इसमें झारखंड के लोक जीवन व संस्कृति को भी स्थान दिया गया है। यह राज्य की समृद्ध एवं अद्भुत सांस्कृतिक विरासत, सदियों पुरानी परंपरा, त्योहार, वाद्ययंत्र, गीत और नृत्य की अमिट छाप को लोगों के जेहन में प्रति¨बबित करता है।

Posted By: Inextlive