रांची को धुर्वा व एयरपोर्ट से कनेक्ट करने वाले दूसरे ओवरब्रिज कडरू पर दरार पडऩे लगी है. लगभग 13 साल पहले जब यह ब्रिज बना तो लोगों को काफी राहत हुई. लेकिन आज जो हालात हैं उसके अनुसार यह ब्रिज आसपास रहने वाले लोगों के लिए सिरदर्द बन चुका है. ब्रिज की बुनियाद के अलावा पिलर भी कमजोर पड़ रहे हैं. कई जगहों पर दरारें भी आ गई हैं. जगह-जगह से सीमेंट की दीवारें गिरने लगी हैं. जल्द ही इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. इतना ही नहीं ब्रिज के बंद होने से एकबार फिर से सिटी में जाम की समस्या शुरू हो जाएगी. आलम यह है कि सिटी के लोगों के लिए लाइफलाइन बना यह ब्रिज आज अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है.


रांची (ब्यूरो)। वार्ड नंबर 24 में पडऩे वाले इस कडरू रेल ओवर ब्रिज पर चलना खतरे से खाली नहीं है। जबकि यह ब्रिज जब शुरू हुआ था तो लोगों को काफी राहत मिली। लेकिन, आज ब्रिज की स्थिति देख लोग डर के साये में जीने को मजबूर हैं। उन्हें हमेशा इस बात का डर सताता रहता है कि कहीं हादसा न हो जाये। इस चक्कर में रातों को भी जागकर ब्रिज को देखते रहते हैं।झूल रहीं सीढिय़ां व स्ट्रीट लाइट


रेल ओवर ब्रिज में लोगों की सुविधा के लिए लोहे की सीढिय़ां भी बनाई गई थीं। लेकिन मेंटेनेंस नहीं होने के कारण ये बर्बाद हो गईं, ऐसे में इसका अब चढऩे के लिए लोग इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। वहीं पुल पर लगी स्ट्रीट लाइट के खंभे भी ढीले पडऩे लगे हैं। कभी भी स्ट्रीट लाइट गिर सकती है। ऐसे में फ्लाईओवर से गुजरने वालों के साथ दुर्घटना हो सकती है।तो लाइफलाइन पर लग जाएगी ब्रेक

रांची की लाइफलाइन बन चुकायह ब्रिज मेन रोड और डोरंडा को अशोक नगर, अरगोड़ा, हरमू, कटहल मोड़ और रातू रोड से कनेक्ट करता है। इस ओवरब्रिज के शुरू हो जाने से अब रेलवे स्टेशन जाने वाली सड़क पर भी जाम की समस्या खत्म हो गई है। लेकिन जल्द ही ब्रिज को दुरुस्त करने में विभाग इंटरेस्ट नहीं दिखाता है तो लाइफलाइन बंद हो जाएगी।तत्कालीन सीएम शिबू सोरेन ने किया था उद्घाटन2003 में इस ब्रिज का काम शुरू हुआ था। 5 साल बाद यह ब्रिज बनकर तैयार हुआ। पथ निर्माण विभाग की ओर से निर्मित इस पुल का उद्घाटन तत्कालीन सीएम शिबू सोरेन ने किया था। इसके बाद पुल का बाहर से तो रंग रोगन किया जाता है, लेकिन इसके आधार को मजबूत करने या दुरुस्त करने को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसे लेकर कई बार नगर निगम से लेकर विभाग के अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया, लेकिन कोई झांकने तक नहीं आया। अब पार्षद भी यह कह रही हैं कि किसी हादसे के बाद ही संबंधित विभाग के अधिकारियों की नींद खुलेगी।

Posted By: Inextlive