आयुष्मान योजना के तहत अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिले इसके लिए अब स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टरों की मॉनिटरिंग शुरू कर दी है.


रांची (ब्यूरो): आयुष्मान भारत योजना से जुड़े सरकारी डॉक्टर (स्पेशलिस्ट) अधिकतम चार अस्पतालों, एक सरकारी और तीन प्राइवेट में ही सेवा दे सकते हैं। वर्तमान में कई डॉक्टर हैं जो इसका उल्लंघन कर रहे हैं। अब स्वास्थ्य विभाग ऐसे डॉक्टरों की निगरानी रखना शुरू कर दिया है। अगर अब डॉक्टर चार से अधिक अस्पतालों में अपनी सेवा देते हैं और इसकी जानकारी जिले के सिविल सर्जन को होती है तो उन पर कार्रवाई की जाएगी। मालूम हो कि डॉक्टर चोरी-छिपे कई जगहों पर अपनी सेवाएं देते हैं, इस कारण आयुष्मान योजना का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाता है।दोषी डॉक्टरों को शोकॉज


झारखंड आरोग्य सोसायटी की ओर से कहा गया है कि सरकारी अस्पताल के ड्यूटी डॉक्टर प्राइवेट हॉस्पिटल में अपनी सेवा नहीं दे सकते हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग को ऐसी सूचना भी है कि कई डॉक्टर प्राइवेट हॉस्पिटल में अपनी सेवा दे रहे हैं, ऐसे डॉक्टरों को शो कॉज करने की तैयारी भी चल रही है।आयुष्मान के इलाज में परेशानी

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, राज्य में 770 अस्पताल आयुष्मान भारत योजना से सूचीबद्ध है, जिसमें 549 प्राइवेट और 221 सरकारी अस्पताल शामिल हैं। इसके अलावा 55 भारत सरकार के अस्पताल शामिल हैं। राज्य के कई निजी अस्पतालों का सरकार के पास लाखों-करोड़ों की राशि बकाया होने के कारण आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों को परेशानी हो रही है। रा'य में अगर निजी अस्पतालों ने आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज बंद कर दिया, तो प्रदेश के गरीब मरीजों को इलाज के लिए सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अन्य जिला अस्पतालों पर ही निर्भर रहना पड़ेगा।खाते में पैसा पर भुगतान नहींझारखंड में आयुष्मान भारत के तहत इलाज करने वाले राज्य के निजी अस्पतालों का लगभग 200 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं हो पा रहा है। इस कारण आर्थिक तंगी से जूझ रहे अस्पतालों ने उपचार बंद करने की चेतावनी दी है। जबकि राज्य में आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना का संचालन कर रही झारखंड स्टेट आरोग्य सोसायटी (जसास)के पास 400 करोड़ रुपए उपलब्ध हैं।यह हो रही परेशानीजानकारी के अनुसार, इस योजना में असली पेंच सितंबर 2021 से 8 अप्रैल 2022 तक के भुगतान को लेकर फंसा है। दरअसल बीमा कंपनी के साथ पूर्व में किया गया करार सितंबर 21 में समाप्त हो गया, जिसे उसी तिथि से आगे जारी किया जाना था। लेकिन सरकार द्वारा बीमा कंपनियों के चयन में की गई देरी की वजह से परेशानी हुई है।राज्य में दो तरह से योजना लागू

एसोसिएशन ऑफ हेल्थ केयर प्रोवाइडर ऑफ इंडिया के एक सदस्य ने बताया कि निजी अस्पतालों का बीते छह माह से लगभग 200 करोड़ बकाया है। किसी-किसी अस्पताल का बिल करोड़ों में है। आखिर कर्ज के सहारे कितने दिन तक अस्पताल का संचालन किया जाए। यही नहीं, राज्य में यह योजना दो प्रकार से लागू है। एक लाख तक के उपचार की राशि का भुगतान जहां बीमा कंपनी द्वारा किया जाता है। वहीं एक लाख से पांच लाख तक की राशि का भुगतान जसास द्वारा किया जाता है।

Posted By: Inextlive