फ़िल्म शुरू होते ही पुराने फिल्मी गाने ' जिया ओ जिया कुछ बोल दो ' का ट्यून बजने लगता है पहले तो लगता है कि चलो शुरुआत तो अच्छी हुई पर अफसोस बस वही है जो अच्छा था उसके बाद जो था वो अत्याचार से कम नहीं था। ये फ़िल्म एक वेब सीरीज होनी चाहिए थी इससे ज़्यादा इस फ़िल्म की हैसियत नहीं है इनफैक्ट देखा जाए तो ट्रिपलिंग जैसी कई वेब सीरीज भी इसके मुकाबले तिलिस्म हैं।

कहानी:
एक महाबोर जिया जो ज़रूरत से ज़्यादा ही रोतलु है और एक महाभंड जिया जो ज़रूरत से ज़्यादा ही खुश है, दोनो पेटीएम पे एक ट्विन शेयर हॉलिडे की जानिब स्वीडन जाते हैं और वहां फटे होंठ वाले वासु नाम के लड़के से मिलते हैं और बाकी कहानी भगवान ही जाने।
समीक्षा:
अनजाना अनजानी की तर्ज़ पर ये फ़िल्म दो अनजाने लोगों की जर्नी की कहानी है, और ट्रस्ट मी, आईडिया बुरा नहीं है, फ़िल्म अच्छी बन सकती थी और फ़िल्म बड़ी कोशिश करती है कि वो अनजाना अनजानी जैसी बन जाये, एक दो सीन तो हुबहु वहीं से कॉपी मारे लगते हैं। पर फ़िल्म इतने बेमन से बनाई गई है कि पूछिये मत। फ़िल्म की सिनेमाटोग्राफी इतनी खराब है स्वीडन की खूबसूरत लोकेशन भी देसी लगने लगते हैं। फ़िल्म के डायलॉग बड़े बचकाने हैं, और उनकी टाइमिंग बड़ी ऑफ है, स्क्रीनप्ले लेवल पर फ़िल्म में बड़े बड़े झोल हैं, ऐसा लगता है कि फ़िल्म स्कूल के बच्चों ने मिल के फ़िल्म लिखी है। इनफैक्ट इससे अच्छी कहानी नौसीखिए भी लिख लेते। बड़ी ही प्रेडिक्टेबल है। अब आते हैं लुक और फील पे, पता नहीं कि इंटेशनली है या फ़िल्म को नेचुरल फील देने की कोशिश की गई है, फ़िल्म का मेकअप डिपार्टमेंट जैसे गायब ही है, वासु के फटे हुए होंठ बड़े ही रेपेलिंग लगते हैं, उनके आंखों के नीचे के काले घेरे स्क्रीन पे आते ही नज़रें फेरने पे मजबूर कर देते हैं। फ़िल्म की स्टाइलिंग भी ऑफ है। ऐसा नहीं है कि फ़िल्म में कोई गुंजाईश नहीं थी, ये एक ट्रेवल फ़िल्म भी बन सकती थी, जैसे कि ज़िन्दगी मिलेगी न दोबारा थी, हम उस समय में जी रहे हैं, जहां हर दूसरे फ़िल्म में यूरोप का टूर मिल जाता है, ताकि कहानी से दिमाग भटक सके, इस फ़िल्म में स्वीडन देख कर आपकी ट्रेवल डेस्टिनेशन लिस्ट से स्वीडन हमेशा के लिए आउट हो जाएगा, फ़िल्म की शूट बेहद अमेच्योर है, कुल मिलाकर फ़िल्म का निर्देशन दिशाहीन हैं।

 


अदाकारी
कल्की और ऋचा बढ़िया एक्ट्रेस हैं, इनफैक्ट ऋचा और कल्कि ने खुद को छोटे छोटे किरदारों में भी साबित किया है, इस फ़िल्म को देख के आपको अजीब लगेगा कि इन दोनों ने ही बड़े बेमन से काम किया है, इतने फोर्स्ड एक्सप्रेशन हैं कि पूछिये ही मत और डायलॉग डिलीवरी भी अजीब सी है, जैसे गूगल वॉइस बोल रही हो। अर्सलान जो इस फ़िल्म के हीरो हैं, वो तो ऐसे एक्ट कर रहे हैं, जैसे प्रेमअगन के फरदीन खान। वो इस फ़िल्म के झाड़फनूस का एक और फ्यूज़ बल्ब हैं।
कुलमिलाकर इस फ़िल्म को देखने से अच्छा है कि आप अनजाना अनजानी, ज़िन्दगी मिलेगी न दोबारा या दसविदानिया दोबारा देख लें, एक भी वजह नहीं कि आप इस फ़िल्म को देख कर खुश हों।
रेटिंग : 1 स्टार
Yohaann Bhargava
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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari