प्लास्टिक कचरे से 2.3 किमी रोड बनाई जाएगी। बैन के बाद 30000 किलो पॉलिथीन पकड़ी गई है। यह सड़क तारकोल से बनी सड़क से 25 गुना होगी मजबूत होगी।

कानपुर (ब्यूरो)। कानपुर में प्रदेश की पहली स्मार्ट प्लास्टिक रोड बनेगी। शासन के निर्देश पर इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई हैं। स्टेट में पॉलिथीन बैन के बाद से अब तक नगर निगम ने 30,000 किलो पॉलिथीन पकड़ी है। नगर निगम इस प्लास्टिक को रोड बनाने के लिए कानपुर स्मार्ट सिटी मिशन को देगा। इससे मेघदूत तिराहे से फूलबाग होते हुए नरौना चौराहे तक 2.3 किमी। एरिया में पहली प्लास्टिक रोड बनाई जाएगी।

इतनी प्लास्टिक लगेगी

एनएचएआई रूल्स के मुताबिक 1 किमी। रोड कंस्ट्रक्शन में 800 किलो प्लास्टिक का यूज होता है। इस लिहाज से कानपुर नगर निगम के पास पर्याप्त मात्रा में पॉलिथीन कैरी बैग मौजूद हैं। बता दें कि नगर निगम पॉलिथीन पकड़ता है लेकिन इसको रीसाइकिल करने का कोई इंतजाम नहीं है। अब रोड बनने से इसका डिस्पोजल हो सकेगा.

 

ऐसे बनती है प्लास्टिक रोड

सबसे पहले पॉलिथीन, प्लास्टिक के कप-ग्लास, नमकीन के पैकेट या रैपर, चॉकलेट के रैपर और शैंपू-सॉस आदि के सैशे को बीन कर उसकी सफाई की जाती है। फिर उसे स्ट्रेडर मशीन से एक निश्चित आकार में काट लिया जाता है। इसके बाद 165 डिग्री से। टेंप्रेचर पर हीट किया जाता है, जिससे तेल जैसा एक पेस्ट तैयार हो जाता है। फिर इसे मिक्सिंग चैंबर में भेज दिया जाता है, जहां गिट्टी में तारकोल के साथ प्लास्टिक कचरे से तैयार पेस्ट और बिटुमिन को भी मिलाया जाता है। प्लास्टिक रोड आम रोड्स के मुकाबले 25 गुना मजबूत भी होती है। इसमें पानी भी नहीं रिसता है जिससे बारिश में इस रोड पर गड्ढे भी नहीं होंगे।

नई मशीनरी की जरूरत नहीं

रोड कंस्ट्रक्शन में इस समय जिस मशीनरी का यूज हो रहा है, उसी का इस्तेमाल करते हुए प्लास्टिक कचरे से सड़क बनाई जा सकती है। उसमें सिर्फ प्लास्टिक कचरे को काटने वाले स्ट्रेडर मशीन को लगाना होगा और उसे गर्म करने के लिए एक चैंबर बनाना होगा। बाकी सारी मशीनरी पुरानी ही होगी।

इन्होंने खोजी टेक्निक

मदुरै स्थित त्यागराजन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में केमिस्ट्री के पद्मश्री प्रो। राजगोपाल वासुदेवन ने सबसे पहले प्लास्टिक कचरे से सड़क बनाने की तकनीक खोजी थी। उनके मुताबिक गिट्टी में तारकोल मिलाते वक्त ही प्लास्टिक कचरे की कतरन से बना पेस्ट मिला दिया जाए, तो सड़क निर्माण की लागत न सिर्फ घट जाती है, बल्कि उसकी मजबूती भी बढ़ जाती है।

 


ये होगा लाभ

-शहरों में जहां-तहां उड़ते पॉलिथीन से निजात मिल जाएगी।

-रोड ज्यादा मजबूत बनेगी और इनकी कॉस्टिंग भी कम होगी।

-प्लास्टिक कचरा बीनने वालों को कमाई के लिए ज्यादा पैसा मिलेगा।

स्मार्ट सिटी रोड: एक नजर में

- 600 करोड़ स्मार्ट रोड का टोटल बजट है।

- 199.65 करोड़ से फ‌र्स्ट फेज पूरा किया जाएगा।

- 100 करोड़ होगा फ‌र्स्ट फेज की 3 रोड्स का निर्माण खर्च।

- 109 किमी। स्मार्ट रोड बनाई जानी हैं शहर में।

- 2.3 किमी। सड़क को स्मार्ट बनाने के लिए टेंडर।

- 34.50 करोड़ से शहर की पहली स्मार्ट रोड बनेगी।

 

इन सड़कों को बनाया जाएगा स्मार्ट

- गंगा बैराज से जाजमऊ तक

- कंपनीबाग से बड़ा चौराहा तक

-सनिगवां से कर्रही रोड तक

 

प्लास्टिक रोड में यूपी सबसे पीछे

-2 साल के अंदर पुणे में 1430 किमी। प्लास्टिक रोड बनाई जा चुकी है।

-गुजरात में 90,000 किलो पॉलिथीन 15.91 किमी। रोड बनाने में खत्म।

-इंदौर में पिछले 2 सालों में 45 किमी। प्लास्टिक रोड बनाई गई है।

-मेघालय में पिछले 1 साल में 8 किमी। रोड बनाई जा चुकी है।

-सेंट्रल गवर्नमेंट 1 लाख किमी। प्लास्टिक रोड बनाने का लक्ष्य रखा है।

 

कानपुर में इतना प्लास्टिक वेस्ट

-50 टन प्लास्टिक वेस्ट कानपुर में रोजाना होता है जेनरेट।

-90 पॉलिथीन बैग बनाने वाली फैक्ट्री सिटी में मौजूद।

-55 टन पॉलिथीन का प्रतिदिन प्रोडक्शन होता था सिटी में।

 

'स्मार्ट रोड को पॉलिथीन से बनाया जाएगा। स्मार्ट सिटी मिशन प्रभारी को इसके निर्देश दिए गए हैं। ठेकेदार को पॉलिथीन नगर निगम से दी जाएगी.'

-अमृत लाल बिंद, अपर नगर आयुक्त।
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Posted By: Inextlive