10-10 बातें जिन्होंने संजीव और अंशु को दिलाया मैग्सेसे अवार्ड
'गूंज' से जुड़े अंशु गुप्ता
1 . 12वीं कक्षा के दौरान हुए एक एक्सीडेंट ने इनकी जिंदगी को बदलकर रख दिया।
2 . इन्होंने देहरादून से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। उसके बाद वह दिल्ली चले गए। यहां JNU स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन (IIMC) से पत्रकारिता का कोर्स पूरा किया।
3 . यहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्होंने बतौर कॉपी राइटर एक विज्ञापन एजेंसी में काम शुरू कर दिया। कुछ समय बाद इन्होंने पावर गेट नाम की एक कंपनी में भी दो साल तक काम किया.
4 . नौकरी में इनका मन नहीं लगा, तो इन्होंने अपना NGO शुरू करने का मन बनाया।
5 . अपने NGO के अंतर्गत इन्होंने 1999 में चमोली में आए भूकंप में रेड क्रॉस की मदद से जरूरतमंदों के लिए काफी सामान भेजा।
6 . इस दौरान इन्होंने तमिलनाडु सरकार के साथ एक तरह का समझौता भी किया। समझौता इसलिए ताकि वहां आई प्राकृतिक आपदा में जो कपड़े नहीं बांटे जा सके, उन्हें जरूरतमंदों तक आसानी के साथ पहुंचाया जा सके।
7 . वर्तमान की बात करें तो गूंज का वार्षिक बजट अब तीन करोड़ से भी ऊपर पहुंच चुका है। करीब 67 कपड़ों से शुरू हुआ यह संगठन आज प्रतिमाह अस्सी से सौ टन कपड़ों को गरीबों को बंटवाता है।
8 . उनकी NGO 'गूंज' के अब 21 राज्यों में संग्रहण केंद्र मौजूद हैं। इसके साथ ही दस ऑफिस भी हैं। इनके अलावा इनकी टीम में करीब डेढ़ सौ से ज्यादा साथी जुड़े हुए हैं। अभी गूंज ने क्लॉथ फॉर वर्क कार्यक्रम की शुरुआत की है।
9 . अंशु के प्रयासों से कुछ गांवों में छोटे पुल भी बने। इतना नहीं कुछ गांवों में कुएं भी खोदे गए।
10 . इनकी NGO की सबसे बड़ी खासियत ये है कि 'गूंज' में कामकाज को देखने की ज्यादातर जिम्मेदारी महिलाओं के हाथों में है।
ये हैं हरियाणा काडर के अफसर संजीव चतुर्वेदी
1 . इन्होंने 1995 में मोतीलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, इलाहाबाद से बीटेक का कोर्स पूरा किया। 2002 के ये आईएफएस अफसर हैं। ये मूल रूप से हरियाणा काडर के अफसर हैं।
2 . आईएफएस अफसर बनकर इनकी पहली पोस्टिंग कुरुक्षेत्र में हुई। यहां इन्होंने हांसी बुटाना नहर बनाने वाले ठेकेदारों पर मामला दर्ज करवाया।
3 . सीवीओ के तौर पर अपने दो साल के कार्यकाल में एम्स में संजीव चतुर्वेदी ने करीब 150 से ज्यादा भ्रष्टाचार के मामलों को सामने लाने का काम किया।
4 . ऐसी कई उपलब्धियों से खुश होकर 2014 में संजीव को स्वास्थ्य सचिव की ओर से ईमानदार अधिकारी का तमगा दिया गया।
5 . वहीं ऐसे ही कुछ कारणों से पांच साल में 12 बार इनका ट्रांसफर भी हुआ। इसके साथ ही झूठे पुलिस मुकदमे और निलंबन के बाद राष्ट्रपति के यहां से चार बार इनकी बहाली हो चुकी है।
6 . 2007-08 में संजीव ने झज्जर में एक हर्बल पार्क के निर्माण में हुए घोटाले का खुलासा किया। इस घोटाले में मंत्री और विधायकों के अलावा कुछ अधिकारी भी शामिल थे। इसके बाद हरियाणा के इसी झज्जर और हिसार में 2009 में इन्होंने वन घोटालों का भी खुलासा किया।
7 . इस साल 2009 में ही संजीव पर एक जूनियर अधिकारी संजीव तोमर की प्रताड़ना का आरोप भी लगा, लेकिन बाद में उनको आरोपमुक्त कर दिया गया था।
8 . राज्य सरकार से तंग आकर इन्होंने 2010 में केंद्र में प्रति नियुक्ति की अर्जी दी थी। इसके बाद 2012 में उन्हें AIIMS के डिप्टी डायरेक्टर का पद सौंप दिया गया।
9 . इनको AIIMS के CVO पद की भी जिम्मेदारी दी गई।
10 . बीजेपी की सरकार के केंद्र में आने के बाद इनको CVO पद से हटा दिया गया। इस पर काफी विवाद भी खड़ा हुआ था।