आबादी के लिहाज से देश का सबसे बड़ा सूबा है उत्‍तर प्रदेश। कहते हैं देश की राजनीति का रुख यहां बहने वाली हवा से तय होता है। inextlive.com की स्‍पेशल सीरीज में जानिए उनकी कहानी जिन्‍हें मिली इस सूबे के 'मुख्‍यमंत्री' की कुर्सी। आज हम बात करेंगे उत्‍तरप्रदेश में 15वें मुख्‍यम्रत्री मुलायम सिंह यादव की जो अखाड़े के तो सफल पहलवान थे ही राजनीति के दंगल में भी उस दौर की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस को चित्‍त करने में कामयाब हुए।

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राजनीतिक उठापटक :

मुलायम सिंह यादव उन गैर कांग्रेसी नेताओं में से एक हैं जो एक से ज्यादा बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं। वे तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री की कमान संभाल चुके हैं। वे अपने पहलवानी के आर्दश गुरु नत्थूसिंह के पदचिन्हों पर चलते हुए देश की राजनीति में सक्रिय हुए। उन्होंने नत्थूसिंह के ही परम्परागत विधान सभा क्षेत्र जसवन्त नगर से अपना राजनीतिक सफर भी आरम्भ किया था। उत्तर प्रदेश मे सामाजिक सद्भाव को बनाए रखने में मुलायम सिंह के  योगदान को काफी साहसिक माना जाता है क्योंकि उन्होंने बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे को लेकर अपना स्पष्ट स्टैंड रखा था। इसी वजह से मुलायम सिंह की पहचान एक धर्म निरपेक्ष नेता की बनी हुई है। उनके चाहने वाले उन्हें नेताजी के नाम से भी बुलाते हैं।
महत्वपूर्ण फैसले :

साल 1992 में मुलायम सिंह ने जनता दल से अलग होकर समाजवादी पार्टी के रूप में एक अलग पार्टी बनाई। जब तक मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री रहे उन्होंने बाबरी मस्जिद के ढांचे को कोई आंच नहीं दी। मुलायम सिंह ने कार सेवकों पर साल 1990 में उन्होंने गोली चलाने का आदेश दिया जिसमें एक दर्जन से ज्यादा लोग मारे गए थे, हालाकि इसका उन्हें जबरदस्त राजनीतिक लाभ हुआ समाजवादी पार्टी को मुस्लिमों का बिना शर्त सर्मथन प्राप्त हो गया। साल 2008 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार अमरीका के साथ परमाणु करार को लेकर संकट घड़ी पर मुलायम सिंह ने मनमोहन सरकार को बाहर से समर्थन दिया था। साल 2012 में उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में 403 में से 226 सीटें जीतने बाद मुलायम सिंह ने खुद चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के बजाय अपने बेटे अखिलेश यादव को पद पर बैठाया। उनके हर फैसले ने प्रदेश की ही नहीं बल्कि देश की भी दशा और दिशा बदली।
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काम :

मुलायम सिंह ने उत्तर प्रदेश में पिछड़े वर्गों का सामाजिक स्तर को उपर करने में महत्वपूर्ण कार्य किया है। 1967 में वे पहली बार विधान सभा के सदस्य चुने गये और मन्त्री बने। 1992में उन्होंने समाजवादी पार्टी बनाई। वे तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्य मन्त्री रहे पहली बार 5 दिसम्बर 1989 से 24 जनवरी 1991 तक, दूसरी बार 5 दिसम्बर 1993 से 3 जून 1996 तक और तीसरी बार 29 अगस्त 2003 से 11 मई 2007 तक।  इसके साथ ही वे केन्द्र सरकार में रक्षा मन्त्री भी रह चुके हैं। पहली बार मंत्री बनने के लिए मुलायम सिंह यादव को 1977 तक इंतज़ार करना पड़ा, जब कांग्रेस विरोधी लहर में उत्तर प्रदेश में भी जनता सरकार बनी थी तब वे सहकारिता और पशुपालन मंत्री बने। 1980 में भी कांग्रेस की सरकार में वे राज्य मंत्री रहे। चरण सिंह ने उन्हें विधान परिषद में मनोनीत करवाया, जहाँ वे विपक्ष के नेता भी रहे। 1996 में मुलायम सिंह यादव ग्यारहवीं लोकसभा के लिए मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र से चुने गए थे और उस समय जो संयुक्त मोर्चा सरकार बनी थी, उसमें मुलायम सिंह भी शामिल थे और देश के रक्षामंत्री बने थे। मुलायम सिंह यादव को प्रधानमंत्री बनाने की भी बात चली थी।
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व्यक्ितगत जीवन :

मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवम्बर 1939 को इटावा जिले के सैफई गाँव में मूर्ति देवी व सुधर सिंह के किसान परिवार में हुआ था। मुलायम सिंह अपने पाँच भाई-बहनों में रतनसिंह से छोटे व अभयराम सिंह, शिवपाल सिंह, रामगोपाल सिंह और कमला देवी से बड़े हैं। पिता सुधर सिंह उन्हें पहलवान बनाना चाहते थे किन्तु पहलवानी में अपने राजनीतिक गुरु नत्थूसिंह को मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती-प्रतियोगिता में प्रभावित करने के बाद उन्हीं के पदचिन्हों पर चल कर राजनीति शुरू कर दी। मुलायम सिंह यादव की दो शादियां हुईं पहली शादी मालती देवी से जिनके बेटे हैं प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, दूसरी पत्नी हैं साधना गुप्ता जिससे उन्होंने लंबें प्रेम संबंध के बाद 2003 में मालती देवी के निधन के बाद शादी की।
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मुलायम सिंह की प्रेम कहानी :
हालाकि मुलायम सिंह ने साधना गुप्ता से शादी अपनी पहली पत्नी की मृत्यु के बाद की लेकिन उनके प्रेम संबंध काफी पुराने थे। दोनों का एक बेटा प्रतीक भी है जिनकी पत्नी इस बार समाजवादी पार्टी उम्मीदवार भी हैं। मुलायम सिंह ने 1982 में साधना को पहली बार देखा जब वे मुलायम लोकदल के अध्यक्ष बने थे। अपने से 20 साल छोटी बेहद खूबसूरत साधना को मुलायम पहली नजर दिल दे बैठे थे। उस समय मुलायम तो शादी शुदा थे ही साधना भी फर्रुखाबाद जिले के में व्यापारी चंद्रप्रकाश गुप्ता की पत्नी थीं। बाद में वे अपने पती से अलग हो गयीं और उनका प्रेम गुपचुप परवान चढ़ने लगा, हालाकि लोगों को इसकी खबर हुई पर प्रदेश के इस कद्दावर शक्तिशाली नेता के खिलाफ बोलने का साहस किसी में नहीं हुआ।

विवादित नेता :
मुलायम सिंह कई बार विवादों में भी फंसे हैं। हाल ही में उन्होंने अपने एक भाषण के दौरान बलात्कार की एक घटना पर ये कह कर कि लड़के गलतियां करते हैं तो क्या उन्हें सूली चढ़ा दोगे, वे विवादों में आ गए थे। इस मामले में उन पर महोबा जिले की स्थानीय कोर्ट ने अदालत में उपस्थित होने के लिए सम्मन भी जारी किया गया था। इसी तरह साल 2009 में लोक सभा चुनाव अभियान में मुलायम सिंह ने अंग्रेजी और कम्प्यूटर की शिक्षा समाप्त करने की वकालत करते हुए कहा था कि इससे वेरोजगारी फैलती है। निलंबित आई पी एस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को धमकाने आरोप में सी जे एम सोमप्रभा मिश्रा ,लखनऊ ने उनके विरुद्ध आईपीसी की धारा 156(3) के अंतर्गत एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था।
 
परिवार में कलह :
हाल ही में मुलायम सिंह यादव परिवार में वर्चस्व की लड़ाई को लेकर जबरदस्त कलह सामने आई थी। इस कलह में मुलायम के साथ उनके भाई शिवपाल यादव और करीबी मित्र अमर सिंह थे जबकि उनके बेटे वर्तमान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और दूसरे भाई राम गोपाल यादव खिलाफ खड़े थे। पार्टी किसकी हो इस बात की लड़ाई चुनाव आयुक्त तक पहुंच गयी थी और कहा गया पार्टी टूट जायेगी। बाद में जीत अखिलेश की हुई और उन्हें पार्टी प्रमुख और साइकिल चुनाव चिन्ह का अधिकारी माना गया।

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Posted By: Molly Seth