मंजिल उन्‍हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है पंखो से नहीं हौसलों से उड़ान होती है। इन लाइनों को तेज गेंदबाज कुलवंत ने सच कर दिखाया है। गोवा के एक होटल से इंडियन क्रिकेट टीम के लिए गेंदबाजी करने का उनका सफर किसी फिल्‍मी कहानी से कम नहीं है।

क्रिकेटर से पहले वेटर थे कुलवंत

फिल्म अग्निपथ में आपने मांडवा का नाम तो सुना ही होगा। जनाब कुलवंत खेजरोलिया मांडवा के चूड़ी गांव के रहने वाले हैं। कुलवंत पहले गोवा के एक होटल में वेटर का काम करते थे। 2016-17 में उन्होंने विजय हजारे ट्रॉफी से क्रिकेट में डेब्यू किया। उनकी गेंदबाजी में धार देखकर 2017 इंडियन प्रीमियर लीग में मुंबई इंडियंस ने उन्हें दस लाख रुपये में खरीद लिया। कुलवंत बाएं हाथ के बल्लेबाज भी हैं।

 

कुलवंत की स्पीड ने दिलाई टीम में जगह

कुलवंत बाएं हाथ के मीडियम फास्ट बॉलर हैं। उनकी बॉलिंग स्पीड 140 किलोमीटर प्रतिघंटा है। 12 सितंबर को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ होने वाले वनडे प्रैक्टिस मैच के लिए बीसीसीआई की सिलेक्शन टीम ने उन्हें इंडिया बोर्ड प्रेसिडेंट इलेवन में शामिल किया है। टीम में सेलेक्शन के बाद भी कुलवंत मुंबई इंडियन्स के लिए एक भी मैच नही खेल पाए थे। भारतीय टीम के बॉलिंग कोच भारती अरूण ने बताया कि वे बांये हाथ के गेंदबाज है और उनकी बॉलिंग में कई तरह की वेरायटी देखने को मिलती है। कुलवंत की बॉलिंग स्पीड काफी अच्छी है। टीम को ऐसे खिलाड़ी की जरूरत हैं।

 

पिता की है किराने की दुकान तो मां है हाउस वाइफ

कुलवंत के पिता शंकर सिंह की गांव में किराने की छोटी सी दुकान है। मां सरोज कंवर हाउस वाइफ हैं। उनका एक भाई और एक बहन है। कुलवंत के बड़े भाई हेमंत सिंह रोडवेज में नौकरी करते हैं। बचपन से कुलवंत क्रिकेटर बनना चाहते थे। जिसके लिए उन्होंने काफी संघर्ष किया। उन्हें बीसीसीआई की 15 प्लेयर की टीम में बतौर तेज गेंदबाज शामिल किया है। कुलवंत के भाई ने बताया कि 12 सितंबर को चेन्नई में आस्ट्रेलिया के साथ पहला मैच है जिसमें कुलवंत को उसकी काबिलियत के बल पर खेलने का मौका मिला है।

 

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Posted By: Prabha Punj Mishra