साइमन कमीशन के विरोध में लाठी खाने वाले गरमदल के नेता लाला लाजपत राय एक क्रांतिकारी थे। उन्‍हें एक बैंक की स्‍थापना का श्रेय भी जाता है। मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी ये नारा लाला लाजपत राय का ही है।


1- पंजाब के मोंगा जिले में 28 जनवरी 1865 को उर्दू के अध्यापक के घर में जन्मे लाला लाजपत राय बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा से धनी थे। एक ही जीवन में उन्होंने विचारक, बैंकर, लेखक और स्वतंत्रता सेनानी की भूमिकाओं को बखूबी निभाया था। पिता के तबादले के साथ हिसार पहुंचे लाला लाजपत राय ने शुरूआत के दिनों में वकालत भी की।
4- लाला जी ने महाराष्ट्र के लोकमान्य बाल गंगाधर तिलाक और बंगाल के बिपिन चंद्र पाल के साथ मिलकर कांग्रेस के भीतर ‘गरम दल’  की मौजूदगी दर्ज कराई। इन तीनों को उस वक्त लाल-बाल-पाल की त्रिमूर्ति के तौर पर जाना जाता था। ब्रिटिश राज के विरोध के चलते लाला जी को बर्मा की जेल में भी भेजा गया। जेल से आकर वह अमेरिका भी गए जहां सामाजिक अध्ययन करने के बाद वापस आकर भारत में गांधी जी के पहले बड़े अभियान यानी असहयोग आंदोलन का हिस्सा भी बने।


7- क्रांतिकारी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू ने लाला जी की मौत का बदला लेने के लिए अंग्रेज पुलिस अधिकारी सांडर्स को 17 दिसंबर 1928 को गोली से उड़ा दिया। बाद में भगत सिंह और उनके साथी गिरफ्तार होकर फांसी पर भी चढ़े। इन तीनों क्रांतिकारियों की मौत ने पूरे देश के करोड़ो लोगों को ब्रिटिश सरकार के खिलाफ खड़ा करके एक ऐसा आंदोलन पैदा कर दिया जिसे दबा पाना अंग्रेज सरकार के बूते से बाहर की बात थी। 8- लाला लाजपत राय जीवनभर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ भारतीय राष्ट्रवाद को मजबूती से खड़ा करने की कोशिश में जुटे रहे। उनकी मौत ने इस आंदोलन को और मजूबत कर दिया। लाला जी ने ब्रिटिश लाठियों से घायल होते वक्त सही कहा था। उनके जिस्म पर पड़ी एक-एक लाठी वाकई ब्रिटिश राज के ताबूत की कील साबित हुई।

Posted By: Prabha Punj Mishra