पटना म्यूजियम में भारतीय संविधान सहित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज है कैद

पटना (ब्यूरो)। मैं संविधान बोल रहा हूंदेश का कोई वीर सपूत मुझे स्ट्रांग रूम से बाहर निकालो । मैं पटना संग्रहालय में कैद हूं यहां मेरा दम घुट रहा है। ये पुकार किसी मानव की नहीं बल्कि देश के नियम-कानून बनाने वाले संविधान की है। इसे देखने और समझने लिए पटना ही नहीं आसपास के जिलों से भी लोग आते हैं लेकिन स्ट्रांग रूम की चाभी नहीं होने के कारण अधिकारी इसे नजर अंदाज कर देते हैं। गणतंत्र दिवस के अवसर पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम जब संविधान देखने के लिए पटना म्यूजियम पहुंचा तो पता चला कि पूर्व अपर निदेशक के पास संविधान कक्ष का चाभी है और वे पटना से बाहर है। इतना ही नहीं संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ। राजेन्द्र प्रसाद के नाम पर बना गैलरी भी म्यूजियम के डिस्प्ले में नहीं दिखा । डॉ। राजेन्द्र प्रसाद के नाम पर बने गैलरी को देखने जाने वाले दर्शक निराश होकर लौट जाते हैं। पढि़ए रिपोर्ट

अधिकारियों को नहीं है जानकारी
संविधान के बारे में पूछने पर पटना म्यूजियम के सहायक संग्रहालय अध्यक्ष विनय कुमार ने बताया कि रिसर्च सोसाइटी में रखा है। जबकि रिसर्च सोसाइटी में फोन करने पर पता चला कि यहां नहीं है। फिर उन्होंने बताया कि इससे पहले जो सहायक संग्रहालय अध्यक्ष थे वे चार्ज नहीं दिए हैं। कुछ देर के बाद वे बताते हैं कि संविधान स्ट्रांग रूम हैं। और उसकी चाभी पूर्व अपर निदेशक के पास है। अपर निदेशक छपरा में थे। जबकि अपर निदेशक का ट्रांसफर मुजफ्फरपुर चार महीने पहले हो गया है।

बिहार को मिला था एक प्रति
बिहार विद्यापीठ के अध्यक्ष विजय प्रकाश ने बताया कि संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ। राजेन्द्र प्रसाद बिहार के थे। प्रोटेम अध्यक्ष सच्चिदानंद सिन्हा भी बिहार से थे। बाद में वे अस्वस्थ रहने लगे। इसलिए संविधान की एक प्रति बिहार में रखी गई। जिसे बाद में पटना संग्रहालय में रखा गया।

देश -विदेश से आते हैं रिसर्च स्कॉलर
नाम न छापने की शर्त पर पटना संग्रहालय के एक कर्मचारी ने बताया कि संविधान डिस्पले में नहीं होने के चलते सबसे ज्यादा परेशानी वैसे रिसर्च स्कॉलर को होती है जो पटना से बाहर दूसरे देशों से संविधान को समझने और रिसर्च करने के लिए आते हैं। गणतंत्र दिवस के अवसर पर संविधान को देखने के लिए सिवान से आए अजय ने बताया कि जैसे ही पता चाल कि पटना संविधान रखा हुआ है तो अवकाश लेकर उसे देखने के लिए आया लेकिन स्ट्रांग रूम में ताला बंद होने चलते बिना देखे ही लौट रहा हूं।

डिस्पले नहीं राजेन्द्र प्रसाद गैलरी
संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ। राजेन्द्र प्रसाद का नाम जब भी जिक्र होता है तो पटना संग्रहालय का नाम भी जेहन में आ ही जाता है। उसकी गैलरी में रखे राजेन्द्र प्रसाद की स्मृतियां सहित कई महत्वपूर्ण धरोहर हैं। जिसे देखने के लिए पूरे देश से लोग आते हैं। मगर कला संस्कृति विभाग की उदासीन रवैये के चलते म्यूजियम के राजेन्द्र प्रसाद गैलरी अस्थाई रूप से बंद है। इस गैलरी में राजेन्द्र प्रसाद की जीवनी की कई स्वर्णिम इतिहास की कई निशानियां है। जो पटना संग्रहालय में कैद है।

पटना म्यूजियम के सहायक संग्रहालय अध्यक्ष विनय कुमार और रिपोर्टर के बीच हुई बातचीत के अंश

रिपोर्टर - संविधान देखना है
विनय कुमार - संविधान का क्या काम पड़ गया
रिपोर्टर - स्टोरी बनानी है
विनय कुमार - बिहार रिसर्च सोसाइटी में रखा गया है संविधान
रिपोर्ट - वहीं चलकर दिखा दीजिए
विनय कुमार - अभी चार्ज नहीं मिला है
रिपोर्ट- चार्ज तो आपको मिल गया है
विनय कुमार - संविधान मेरे चार्ज में नहीं है
रिपोर्टर - किसके चार्ज में है ?
विनय कुमार- इससे पहले जो सहायक संग्रहालय अध्यक्ष थे उन्हीं के पास चार्ज है
रिपोर्टर - कहां रखा है
विनय कुमार - स्ट्रांग रूम में
रिपोर्टर - दिखा दीजिए
विनय कुमार- स्ट्रांग रूम का चाभी मेरे पास नहीं है
रिपोर्टर - सहायक संग्रहालय अध्यक्ष आप हैं तो किसके पास है
विनय कुमार- पूर्व अपर निदेशक के पास
रिपोर्टर - वो कहां है
विनय कुमार - अभी छपरा में हैं

राजेन्द्र स्मृति संग्रहालय में है कई स्मृतियां
संविधान सभा के अध्यक्ष और देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ। राजेन्द्र प्रसाद के नाम पर पटना के बिहार विद्यापीठ में कई स्मृतियां को रखा गया है । संस्था के अध्यक्ष विजय प्रकाश ने बताया कि राजेन्द्र प्रसाद के आखिरी दिन यहां बने खास भवन में गुजरे थे। जिसे बाद में राजेन्द्र प्रसाद स्मृति संग्रहालय बना दिया गया। पूरे देश से संग्रहालय में भारत रत्न से लेकर उनके जीवन से जुड़ी सामग्री को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग आते हैं।

प्राचीन झंडा पोस्ट में से एक
विजय प्रकाश ने बताया कि 31 जनवरी 1929 को रावी नदी के तट पर पहली बाद झंडा फहराया गया। उसी दिन पटना के विद्यापीठ में झंडा पोस्ट बना 4 जनवरी 1932 को पहली बार झंडा फहराया गया जिसके बाद अंग्रेजों ने डॉ। राजेन्द्र प्रसाद उनके सहयोगियों को गिरफ्तार कर ब्रिटिश झंडा लगा दिया था।

Posted By: Inextlive