इंडियन क्रिकेट टीम के नये कोच के रुप में जिम्बाब्वे के पूर्व कप्तान डंकन फ्लेचर नियुक्त हुए है. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड बीसीसीआई ने अगले दो साल के लिए टीम इंडिया के कोच बनाए गए जिम्बाब्वे के डंकन फ्लेचर के बारे में आप क्या जानते हैं? हम बता रहे हैं फ्लेचर के बारे में पूरी जानकारी

फ्लेचर का पूरा नाम डंकन एंड्रयू ग्वाने फ्लेचर है. उनका जन्म 27 सितम्बर, 1948 को साउथ सिल्सबरी, रोडेशिया (अब हरारे) में हुआ था. उन्होंने जिम्बाब्वे के पहले वनडे इंटरनेशनल मैच में कप्तानी की थी. इसके अलावा वह 1983 वर्ल्ड कप में आस्ट्रेलिया को हराने वाली टीम के कप्तान थे.
आस्ट्रेलिया के खिलाफ शानदार प्रदर्शन के लिए फ्लेचर को मैन ऑफ द मैच चुना गया था. फ्लेचर कभी भी टेस्ट मैच नहीं खेल सके लेकिन उन्होंने जिम्बाब्वे को 1982 आईसीसी ट्रॉफी जिताने में अहम भूमिका निभाई थी.

वर्ष 2004 में फ्लेचर इंग्लिश क्रिकेट टीम के कोच बने. उनकी देखरेख में इस टीम ने अगले चार वर्षों में श्रीलंका, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरिज जीती. वर्ष 2004 में इंग्लिश टीम ने फ्लेचर की देखरेख में लगातार आठ टेस्ट जीतने का रिकार्ड बनाया. उसने घरेलू श्रृंखला में न्यूजीलैंड को 3-0 से और वेस्टइंडीज को 4-0 से पराजित किया. इसके बाद उसने दक्षिण अफ्रीका के
खिलाफ पहला टेस्ट जीतकर यह रिकार्ड बनाया. वर्ष 2005 में फ्लेचर ने इंग्लिश टीम को एशेज में जीत दिलाई. यह उनकी अब तक की सबसे बड़ी सफलता है. इसके लिए उन्हें ओबीई से नवाजा गया. इंग्लिश टीम ने 2-1 से श्रृंखला अपने नाम कर 18 वर्ष के अंतराल के बाद एशेज पर कब्जा किया.


इस सफलता ने फ्लेचर का ब्रिटेन की नागरिकता पाने सम्बंधी पांच वर्ष लम्बा इंतजार खत्म कर दिया. दिसम्बर 2006 में आस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड से एशेज छीन ली. इसके बाद बतौर प्रशिक्षक फ्लेचर के करार की समीक्षा की गई. 2007 विश्व कप में इंग्लिश टीम के खराब प्रदर्शन ने आखिरकार फ्लेचर को इंग्लिश टीम का साथ  छोड़ने पर मजबूर कर दिया. फ्लेचर ने 19 अप्रैल, 2007 को प्रशिक्षक पद से इस्तीफा दे दिया.

'बिहाइंड द शेड्स' के राइटर
इसके बाद फ्लेचर ने कुछ समय रग्बी में हाथ आजमाया और अपनी आत्मकथा 'बिहाइंड द शेड्स' लिखी. वर्ष 2009 में फ्लेचर काउंटी क्लब हैम्पशायर के सलाहकार बने. इसके बाद उन्हें दक्षिण अफ्रीकी टीम का सलाहकार नियुक्त किया गया.

Posted By: Kushal Mishra