कंगाली की कगार पर पहुंचा रोडवेज
-रोजाना हो रहा डेढ़ करोड़ रुपये का नुकसान
देहरादून। कोरोना लॉकडाउन के बाद उत्तराखंड परिवहन निगम कंगाली की कगार पर पहुंच चुका है। आलम यह है कि कोरोना काल में परिवहन निगम के कर्मचारी दो माह से बिना वेतन के काम करने को मजबूर हैं। वहीं रोडवेज को इंतजार है कि सरकार के पास से रुका हुआ पैसा मिले तो वह कर्मचारियों का वेतन चुका सके। आलम यह है कि अब रोडवेज के कर्मचारियों को काली पट्टी बांधकर विरोध करना पड़ रहा है। अधिकारियों का मानना है कि अगर सरकार बकाया राशि दे देती है तो कर्मचारियों को वेतन का भुगतान किया जा सकेगा। कर्मचारियों का वेतन कुल 22 करोड़ है। अगर पैसा आता है तो सैलरी का भुगतान संभव हो सकेगा। नई बसें खा रहीं जंगउत्तराखंड ने 300 नई बसों की खरीद की थी। खरीद के बाद से ही ये बसें खड़ी-खड़ी जंग खा रही हैं।
अशोक लेलैंड की 150 बसें टाटा मेसर्स की 150 बसें यह होती थी आमदनी -रोजाना डेढ़ करोड़ रुपये की होती थी आमदनी -22 मार्च से पूरी तरह से बंद है इनकम -22 मार्च से अब तक रोडवेज को 125 करोड़ का नुकसान ये है -1200 बसें रोडवेज की-400 अनुबंधित बसें
-कुल बेड़ा 1600 बसों का -वॉल्वो की 56 अनुबंधित बसें -अनुबंधित एसी बसें- 100 -जेएनएनयूआरएम- 244 अनुबंधित -पर्वतीय क्षेत्रों के लिए- 517 बसें -मैदानी मार्गो के लिए- 1083 बसें सरकार को देने है 54 करोड़ 25 लाख रुपये सरकार के पास परिवहन निगम के 54 करोड़ 25 लाख रुपये की देनदारी है। अगर सरकार की ओर से यह पैसा मिल जाता है, तो विभाग के लिए बड़ी राहत होगी। परिवहन निगम के दो माह की सैलरी केवल 21 करोड़ रुपए है। अगर सरकार यह पैसा देती है तो रोडवेज के कर्मचारियों का वेतन उन्हें दिया जा सकेगा। सरकार के पास कई तरह का बकाया प्रवासियों को लाने भी बकाया प्रदेश सरकार की ओर से लॉकडाउन के दौरान प्रवासियों को लाया गया। इस बीच उत्तराखंड से गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा और चंडीगढ़ के लिए 2000 ट्रिप चलाई गई। जिसका कुल खर्च 18 करोड़ का था। जिसमें से भी प्रदेश सरकार की ओर से रोडवेज को केवल 4 करोड़ रुपये ही मिले। 14 करोड़ सरकार के पास बकाया है। पर्वतीय मार्ग का बकायाप्रदेश सरकार की ओर से पर्वतीय मार्गो में बसें चलाने पर सरकार की ओर से हर माह तीन करोड़ रुपये दिए जाते हैं। ताकि पर्वतीय मार्गो में बसें चलाने पर रोडवेज को नुकसान न उठाना पड़े। 22 मार्च तक पर्वतीय मार्ग पर बसें संचालित की गई थी। 22 मार्च तक सरकार की ओर से 36 करोड़ रुपये का बकाया है।
इसके अलावा भी कई हैड में बकाया प्रदेश सरकार की ओर से विभिन्न योजनाओं जैसे बुजुर्ग के लिए फ्री सेवा, आंदोलनकारी, स्वतंत्रता सेनानी, दिव्यांग के लिए फ्री सेवा समेत 14 योजनाएं ऐसी हैं, जिसका सरकार की ओर से बकाया है। इसका भी कुल चार करोड़ 25 लाख रुपये बकाया है। काली पट्टी बांधकर विरोध कर रहे रोडवेज कर्मचारी परिवहन निगम से जुड़े कर्मचारियों ने वेतन न मिलने पर आंदोलन का निर्णय लिया है। अब रोडवेज के सभी मंडल आंदोलन के लिए तैयार हैं। रोडवेज के कर्मचारियों को दो माह से वेतन नहीं मिला है। अगर सरकार परिवहन निगम का बकाया देती है तो रोडवेज के कर्मचारियों को वेतन मिल सकेगा। अशोक चौधरी, प्रदेश महामंत्री, उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियनजब तक सरकार के पास से रुका हुआ पैसा नहीं मिल जाता है। तब तक कर्मचारियों का वेतन संभव नहीं है। हालांकि हमारी ओर से लगातार डिमांड की जा रही है कि रुका हुआ पैसा मिल सके।
दीपक जैन, जीएम संचालन एवं तकनीकी उत्तराखंड परिवहन निगम