चेन्नई के नागरी स्थित प्राचीन त्रिपुरसुंदरी समेत श्री चंद्रमौलीश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि पर खास आयोजन हो रहा है। इस मंदिर के पास एक अद्भुत शिवलिंग का निर्माण किया गया है। भगवान शिव के महापर्व के अवसर पर हर बार की तरह इस बार भी यहां एक अलग प्रकार का शंख शिवलिंग बना है। यहां भगवान शिव का अभिषेक के बाद भक्त प्रसाद के रूप में एक शंख अपने घर ले जा सकेंगे।

कानपुर। इस महाशिवरात्रि चेन्नई के नागरी स्थित प्राचीन त्रिपुरसुंदरी समेत श्री चंद्रमौलीश्वर मंदिर में खास आकर्षण होगा। यहां शंख से शिवलिंग बनाया गया है जो ताड़ पत्रों से आच्छादित है। शिव लिंग की कुल ऊंचाई 54 फुट है। इस विशाल शिवलिंग के सामने 45 फुट ऊंचा 'नवधान्य' नंदी बनाया गया है। शिवलिंग और नंदी दोनों का निर्माण पर्यावरण अनुकूल इकोफ्रेंडली सामान से किया गया है। दरअसल इस शिवलिंग का इस्तेमाल महाशिवरात्रि में पूजा के लिए अस्थाई तौर पर किया गया है। यह उन भक्तों को ध्यान में रखकर बनाया गया है जो महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान शिव की पूजा के लिए व्रत रखेंगे।

भक्त करेंगे जलाभिषेक, मिलेगा दैवीय 'प्रसाद'

महाशिवरात्रि के अवसर पर भक्त नागरी के कीलापट्टू गांव में पूजा के लिए आएंगे। वे यहां पानी ओलई लिंग और शंख से बने शिवलिंग का अभिषेक करेंगे। जनकल्याण के सचिव वी सुब्रमण्यम ने कहा कि वे भक्तों को भगवान शिव के अभिषेक के लिए दैवीय अनुभव प्रदान करना चाहते हैं। भक्त चाहें तो शिवलिंग के अभिषेक करने के बाद एक शंख पवित्र यादगार के तौर पर अपने घर ले जा सकेंगे। वे गांव के लोगों के लिए प्रेरणा का काम करते हैं। उनका कहना था कि वे हर वर्ष अलग-अलग प्रकार के शिवलिंग बनाते हैं। इस बार उन्होंने शंख और ताड़ पत्रों का शिवलिंग तैयार करने की योजना बनाई और यह कार्य लगभग पूरा भी हो चुका है।

50 हजार शंखों के इस्तेमाल से बनेगा शिवलिंग

तकरीबन 6 फुट ऊंचे शिवलिंग के निर्माण में 40 से 50 हजार शंखों का इस्तेमाल किया जाएगा। एस गणेश ने बताया कि इस बार शिवलिंग बनाने की योजना फरवरी के शुरुआत में ही तैयार कर ली गई थी लेकिन नंदी की वजह से काम में थोड़ी देरी हुई लेकिन अब काम पूरा हो चुका है। गणेश ही हर बार महाशिवरात्रि के मौके पर शिवलिंग का निर्माण करते हैं। वे लगातार छह बार से इस मौके पर शिवलिंग तैयार कर रहे हैं। गणेश ने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है। उनका कहना था कि गांव के लोग भक्तिभाव से इस काम में उनका सहयोग करते हैं। गांव के लोग इस काम में धन-धान्य से पूरी मदद करते हैं।

Posted By: Satyendra Kumar Singh