सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना 'मकर- संक्रान्ति' कहलाता है। इसी दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में उत्तरायण की अवधि को देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि कहा गया है। इस तरह मकर-संक्रान्ति एक प्रकार से देवताओं का प्रभातकाल है।


मकर- संक्रांति के दिन स्नान, दान, जप, तप, श्राद्ध तथा अनुष्ठान आदि का अत्यधिक महत्व है। इस अवसर पर किया गया दान सौ गुना होकर प्राप्त होता है। इस वर्ष भगवान सूर्य मकर राशि में सोमवार 15 जनवरी को दिन में 8 बजकर 24 मिनट पर प्रवेश कर रहे हैं। मकर संक्रांति लगने के समय से 20 घटी (8 घण्टा) पूर्व और 20 घटी (8 घण्टा) पश्चात् पुण्य काल होता है। इसी में तीर्थादि स्नान तथा दान करना चाहिए। अतः इस वर्ष मंगलवार 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनायी जाएगी। इस दिन स्नान न करने वाला बन जाता है रोगीमकर- संक्रान्ति के दिन स्नान न करने वाला व्यक्ति जन्मजन्मान्तर में रोगी तथा निर्धन होता है- 'रविसंक्रमणे प्राप्ते न स्नायाद्यस्तु मानवः।


सप्तजन्मनि रोगी स्यान्निर्धनश्चैव जायते।।' मकर- संक्रान्ति के दिन गंगास्नान तथा गंगा तटपर दान की विशेष महिमा है। तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर का मकर-संक्रान्ति का पर्वस्नान तो प्रसिद्ध ही है। मकर-संक्रान्ति के विषय में संत तुलसीदास जी ने लिखा है- 'माघ मकरगत रबि जब होई। तीरथपतिहिं आव सब कोई।।'इस दिन सभी देवी-देवता घाट पर करने आते हैं स्नान

ऐसा कहा जाता है कि गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर प्रयाग में मकर- संक्रान्ति के दिन सभी देवी- देवता अपना स्वरूप बदलकर स्नान के लिए आते हैं। अतएव वहां मकर- संक्रान्ति के दिन स्नान करना अनन्त पुण्यों को एक साथ प्राप्त करना माना जाता है।- ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश प्रसाद मिश्रPradosh Vrat 2020: 8 जनवरी को नए साल का पहला प्रदोष व्रत, देखें वर्ष भर कब किस तारीख को पड़ेगा यह व्रत

Posted By: Vandana Sharma