मंगलवार को हुए हमले में घायल मलाला यूसुफजई की हालत में कुछ सुधार हो रहा है.

पेशावर से मिल रही खबरों के मुताबिक एक मेडिकल बोर्ड ने मलाला की जांच की है, लेकिन अभी भी अगले चौबीस घंटे उनके लिए काफी अहम हैं जब उन्हें होश आना शुरू होगा। इस बीच, केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हो रही है जिसके बाद गृहमंत्री रहमान मलिक इस मामले की जांच में हुई प्रगति का ब्यौरा देंगे। इसके अलावा गुरुवार शाम को संसद के दोनों सदनों की भी बैठक होने वाली है। हालांकि इसका एजेंडा तय नहीं है लेकिन माना जा रहा है कि बैठक में इस हमले पर भी चर्चा हो सकती है।

वहीं, पाकिस्तान ने मलाला युसुफज़ई पर गोली चलाने वालों से जुड़ी जानकारी देने वालों को एक करोड़ पाकिस्तानी रुपए बतौर इनाम देने की घोषणा की है। इस बीच अमरीका की विदेशी मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने पाकिस्तान की 14 साल की बच्ची मलाला युसूफज़ई की हिम्मत की दाद दी है।

हमला

मंगलवार को तालिबान ने मलाला को स्वात घाटी में गोली मार दी थी। उनकी हालत पहले काफी नाज़ुक बनी हुई थी लेकिन बाद में उनके सिर में लगी गोली को सफलतापूर्वक बाहर निकाल दिया गया। मलाला अभी भी बेहोश हैं। वहीं मलाला के भाई मुबशिर हुसैन ने सभी पाकिस्तानियों से इस हमले का विरोध करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि चरमपंथी ‘क्रूर और बर्बर’ लोग हैं।

इस बीच, तालिबान के प्रवक्ता एहसानउल्ला एहसा ने बीबीसी उर्दू से मंगलवार को कहा था कि अगर मलाल बच भी गई तो भी उसकी जान बख़्शी नहीं जाएगी। बीबीसी संवाददाता अलीम मकबूल का कहना है कि अब प्रशासन को देखना होगा कि वो मलाला की रक्षा कैसे करे।

सुरक्षासंवाददाता के मुताबिक मलाला के परिवार ने पहले सुरक्षा लेने के बारे में नहीं सोचा क्योंकि उन्हें कभी नहीं लगा कि चरमपंथी इतना नीचे गिर सकते हैं। मंगलवार के हमले में दो और लड़कियाँ भी घायल हुई थीं जिनमें से एक की हालत गंभीर बनी हुई है।

मलाला से अस्पताल में मिलने गए पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल अशफाक़ कियानी ने कहा कि तालिबान ये नहीं समझ पा रहा है कि उसने किसी आम बच्ची को नहीं बल्कि एक ऐसी बच्ची को गोली मारी है जो हिम्मत की प्रतिमूर्ति है। पाकिस्तान के अलग-अलग शहरों में मलाला पर हुए हमले की निंदा करते हुए बुधवार को तालिबान के खिलाफ़ प्रदर्शन हुए हैं।

मलाला ने वर्ष 2009 में 11 साल की उम्र में तालिबान के साए में ज़िंदगी के बारे में बीबीसी उर्दू के लिए डायरी लिखना शुरु किया था। उन्हें वर्ष 2011 में बच्चों के लिए अंतरराष्ट्रीय शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था। पाकिस्तान की स्वात घाटी में लंबे समय तक तालिबान चरमपंथियों को दबदबा था लेकिन पिछले साल सेना ने तालिबान को वहां से निकाल फेंका था।

Posted By: Inextlive